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पर्युषण पर्व: वर्तमान परिवेश में चीजें जल्दी भूल रहा इंसान: मुनि सागर

दशलक्षण पर्व में उत्तम ब्रह्चर्य धर्म पर धर्मसभा में प्रवचनमाला

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Humans forgetting things quickly in current environment: Muni Sagar

Humans forgetting things quickly in current environment: Muni Sagar

पन्ना. पर्वराज पर्युषण के तहत नगर के दिगंबर जैन मंदिर बड़ा बाजार में प्रतिदन विविध धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है। यहां आयोजित होने वाली धर्मसभा में यमल मुनि द्वारा प्रतिदिन प्रवचन दिए जा रहे हैं। यमल मुनि आस्तिक्य सागर व मुनि प्रणीत सागर महाराज ने धर्मसभा में कहा, वर्तमान में जीवों की विस्मरण शक्तियां वृद्धि पर है। व्यक्ति परेशान इसलिये है कि वह जल्दी चीजें क्यों भूल जाता है। छात्र छात्राएं परेशान हैं कि उनको विषय स्मरण में नहीं रहता, भूलने की आदत बढ़ती ही जा रही है। भूल जाने का पूरा श्रेय जाता है वीर्य स्खलन को। मुनिश्री ने कहा, ब्रह्रचर्य का पालन अनिवार्य है। उन्हेंने कहा, बह्रचर्य का पालन करने वाला ही आत्मा में लीन हो पाएगा, साथ ही आज ग्रंथ 'आश्रव जारी हैÓ का विमोचन 200 लोगों द्वारा किया गया।

पवई में भी हुआ आयोजन
पर्वराज पर्युषण के अंतिम दिन दोपहर में भगवान वासुपूज्य स्वामी का मोक्ष कल्याण बडी धूमधाम से मनाया गया। श्रद्वालुओं ने मंत्रों से श्रीजी का अभिषेक पूजन आदि भी किया। मुनिश्री ने सभी धर्माबलंबी बंधु जिन्होंने पिछले 10 दिनों में जो भी र्निजला उपवास, एकाशन, उनोदर आदि व्रत रखकर, पूजन या जिस भी प्रकार से तपस्या की है सभी को आशीर्वाद प्रदान किया। कार्यक्रम के शुभारंभ में मंगलाचरण अनन्या जैन ने किया। रक्षा करा रक्षा करो कार्ड का भी विमोचन लगभग 150 लोगों द्वारा किया गया। रात्रिकालीन शास्त्र सभा व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बच्चों की फैंसी ड्रेस काम्पटीशन प्रतियोगिता हुई। आगामी 16 सितम्बर को विशाल नगर फेरी (श्रीजी का विमान शोभायात्रा) दोपहर 1 बजे से निकाला जाएगा।

देवेंद्रनगर में हुआ अभिषेक
ग्राम बड़वारा स्थित चंदा प्रभु जिनालय में देवेंद्रनगर जैन समाज के लोगों ने महा मस्तकाभिषेक किया। पूजा-अर्चना के बाद देवेंद्रनगर दिगंबर जैन मंदिर में सभी बेदियों के मूलनायक भगवान का महामस्त का अभिषेक हुआ। पूजन अर्चना के साथ ही धार्मिक व आध्यात्मिक कार्यक्रम पूरे दिन चलते रहे। सत्य मति माताजी ने पर्युषण पर्व के दसवें दिन उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म को समझाया। माताजी ने कहा, आत्मा ही ब्रह्म है । उस ब्रह्म स्वरूप आत्मा में चर्या करना रमण करना ब्रह्मचर्य है। असल में हमारी ऊर्जा निरंतर बाहर की ओर बह रही हैं, जिससे हम क्षीण कमजोर हो रहे हैं। ब्रह्मचर्य और उस ऊर्जा को केंद्रित कर आत्मा स्फूर्ति प्रदान करता है। तेजस्विता और बल प्रदान करता है। प्रवचन के पूर्व हेमश्री माताजी ने कहा, साधक तो साधना करते ही हैं। गृहस्थ को भी अपनी मर्यादाओं का ख्याल रखना चाहिए। वैवाहिक जीवन जीकर एक पर केंद्रित करने वाला गृहस्थी ब्रह्मचारी माना गया है। बंधन को स्वीकार कर जीवन पर्यंत निर्वाह करना यह भारतीय समाज में गृहस्थ धर्म की व्यवस्था है।