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काल को भष्म करने पर पड़ा था कालिंजर नाम

कलिंजर के किले में स्थापित है भगवान नीलकंठ अद्भुद मंदिर

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काल को भष्म करने पर पड़ा था कालिंजर नाम

काल को भष्म करने पर पड़ा था कालिंजर नाम

पन्ना. मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमा में स्थापित कालिंजर के किले में भगवान नीलकंठ की अद्भुत प्रतिमा स्थापित है। कालिंजर के किले और यहां स्थापित भगवान नीलकंठ के दर्शन करने के लिये हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। किले का अधिकांश हिस्सा ध्वस्त हो चुका है। हालांकि यह दर्शकों और पर्यटकों के लिये खुला हुआ है।
स्थानीय जानकार बताते हैं कि वामन पुराण और वायु पुराण में भी कालिंजर और भगवान नीलकंठ का उल्लेख मिलता है। बताया गया कि वानम पुराण में कालिंजर को भगवान नीलकंठ का निवास स्थान बताया गया है। वायु पुराण के अनुसार समुद्र मंथन से निकले विष को पीने के कारण भगवान का कंठ नीला हो गया था। इसीलिए उन्हें नीलकंठ कहा जाता है। उन्होंने यहीं पर काल नामक दैत्य का वध किया था, जिससे इसका नाम कालिंजर पड़ गया। कालिंजर किले के पश्चिम में नीलकंठ महादेव का प्राचीन मंदिर स्थापित है। मंदिर मार्ग में कई गुफाए हैं। चट्टानों को काटकर कलाकृतियां बनाई गई हैं। मंदिर चंदेल कालीन शिल्प कला का उत्कृष्ट उदाहरण है। मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग स्थापित है।यहां एक प्राकृतिक स्रोत से बहते पानी से हमेशा भगवान का अभिषेक होता है।यहां के पुजारी बताते हैं, शिवलिंग पर उकेरे गये भगवान शिव की मूर्ति के कंठ का क्षेत्र स्पर्श करने पर सदा ही मुलायम प्रतीत होता है। मंदिर परिसर में सैकड़ों मूर्तियां चट्टानों पर उत्कीर्ण की गई हैं । शिवलिंग के समीप ही भगवती पार्वती एवं भैरव की मूर्तियां भी स्थापित हैं।


कलिंजर पर्वत पर बना कालिंजर दुर्ग
कलिंजर का किला कालिंजर पर्वत पर ही बसाया गया है। यह बुन्देलखण्ड क्षेत्र के बांदा जिले में कलिंजर नगरी में स्थित एक पौराणिक संदर्भ वाला ऐतिहासिक किला है। यहा किला भारत के सबसे विशाल और अपराजेय किलों में एक माना जाता है। इसका निर्माण १०वीं शताब्दी में किया जाना बताया जा रहा है। वर्तमान में यह किला जनता के लिये खुला हुआ है लेकिन इसका अधिकांश हिस्सा ध्वस्त हो चुका है। इस किले को कई युद्धों ंका भी सामना करना पड़ा। महमूद गजनवी, शेर शाह सूरी, कुतुबुद्दीन बेबक और हुमायु आदि ने यहां चढ़ाई की। लंबे समय तक यह किला अपराजेय माना जाता रहा है। मुगल बादशाह अकबर ने इस किले को जीता था। बाद में अंग्रेजों का इसपर कब्जा रहा। इस किले में अन्य कई प्राचीन मंदिर भी हैं।