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प्याऊ से पुण्य कमाने वालों का अकाल – क्यों

नगर पालिका और एनजीओ ने शहर में अभी तक नहीं खोले नि:शुल्क प्याऊ पर्याप्त पानी नहीं पीने के कारण  लोग अस्पताल में हो रहे भर्ती  घरों में दुबके लोग, दोपहर में सड़क पर सन्नाटा

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Suresh Kumar Mishra

Apr 23, 2016

panna news

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पन्ना।
अप्रैल में ही मई और जून जैसी भीषण गर्मी पडऩे से जनजीवन बेहाल है। भीषण गर्मी से जहां एक ओर स्कूल जाने वाले बच्चों से लेकर अभिभावक, शिक्षक झुलस रहे हैं वहीं दिन में घरों से निकलने वालों का भी बुरा हाल है। इस भीषण गर्मी में प्यासे कंठों की प्यास बुझाने की मुकम्मल व्यवस्था नहीं की गई है। शहर के सभी प्रमुख सार्वजनिक स्थलों और मार्गों में इस साल अभी तक नि:शुल्क प्याऊ की व्यवस्था नहीं की गई है। प्यास से लोग बेहाल रहते हैं। उन्हें पीने का ठंडा पानी नहीं मिल पा रहा है। इससे मजबूरी में लोग बोतलबंद पानी या फिर पानी पाउच खरीदने को मजबूर हैं।


गौरतलब है कि पिछले एक पखवाड़े से नगर का अधिकतम तापमान 40 डिग्री से ऊपर रिकॉर्ड किया जा रहा है। पिछले दिनों यह 44 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। दोपहर में हो रही भारी तपन से बार-बार लोगों का गला सूख रहा है। इससे पर्याप्त पानी नहीं पीने के कारण शरीर में पानी की कमी होने हो रही है और लोग अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं। यह जानलेवा भी हो सकता है। राहगीरों को पर्याप्त मात्रा में पानी मिले, इसके लिए जरूरी है कि शहर में एक निश्चित दूरी पर प्याऊ खोले जाएं। भीषण गर्मी के हालात के बाद भी शहर के प्रमुख सार्वजनिक स्थलों और चौराहों आदि पर अभी तक सार्वजनिक प्याऊ की व्यवस्था नहीं की गई है। इससे लोगों को प्यासे यहां-वहां भटकना पड़ता है।


दुकानदार जमकर उठा रहे फायदा

भीषण गर्मी में लोगों को ठंडे पानी की भारी जरूरत होती है। लोगों की इसी मजबूरी का फायदा दुकानदार उठा रहे हैं। दुकानों में नाश्ता व भोजन आदि करने के बाद लोगों को पीने के लिए गर्म पानी ही दिया जाता है। इसके बाद ग्राहकों से कहा जाता है कि यदि ठंडा पानी चाहिए तो बोतल या पाउच खरीदो। लोगों को कुछ खरीदने पर भी ठंडा पानी नहीं मिल पा रहा है।


पानी पाउच,बोलत खरीदने की मजबूरी

शहर के प्रमुख सार्वजनिक स्थलों में अभी तक प्याऊ की व्यवस्था नहीं होने से राहगीरों को सबसे अधिक परेशानी उठानी पड़ती है। उन्हें मजबूरी में पानी पाउच और बोतलबंद पानी खरीदना पड़ रहा है। सबसे अधिक परेशानी तो बस स्टैंड जैसे सार्वजनिक स्थलों में उठानी पड़ती है। इसके बाद भी नगर पालिका और एनजीओ इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।


डिहाइड्रेशन का खतरा

भीषण गर्मी के कारण डॉक्टर लोगों को अधिक से अधिक पानी पीने की सलाह देते हैं। डॉक्टरोंं का कहना है कि हीट स्ट्रोक होने पर मरीज को दवा लेने के साथ ही आराम भी करना चाहिए। हीट स्ट्रोक से शरीर में पानी की कमी हो जाती है। इस दौरान लापरवाही बरतने पर डिहाइड्रेशन होने का खतरा बना रहता है। डॉक्टरों का कहना है कि ऐसे हालात में किसी भी तरह से शरीर में पानी की कमी नहीं होने दें। इसके साथ ही घर से बाहर निकलने से पहले कान अच्छी तरह से बांध लें।


अप्रैल की हीट मार रही स्ट्रोक

अप्रैल में ही सूरज की तपन से लोगों को हीट स्ट्रोक का खतरा बढ़ गया है। दोपहर में अभी लू तो नहीं चल रही, लेकिन हल्की गर्म हवा के थपेड़े लोगों को झुलसाने लगे हैं। जिला अस्पताल की ओपीडी में हीट स्ट्रोक के मरीज पहुंचने लगे हैं। डॉक्टर उन्हें गर्मी में बाहर कम निकलने और आराम करने की सलाह दे रहे हैं। जिले के ग्रामीण अंचल में पीने के पानी के भारी संकट के कारण लोग मजदूरी में दूषित पानी पीकर बड़ी संख्या में बीमार पड़ रहे हैं। जिला अस्पताल में दूषित पानी और गर्मी से होने वाली मौसमी बीमरियों से पीडि़त मरीजों की संख्या में इलाफा हुआ है। यही कारण है कि इन दिनों जिला अस्पताल की ओपीडी में आने वाले औसत मरीजों की संख्या में 15 से 20 फीसदी का इजाफा हुआ है। डॉक्टरों के अनुसार तेज गर्मी के चलते लोगों का शरीर तेजी से तपने लगता है और लोगों में कमजोरी के कारण चक्कर और बेहोशी आने जैसे हालात बनने लगते हैं।


42 डिग्री पर पारा

मौसम विभाग की ओर से शुक्रवार का दिन का अधिकतम तापमान 42 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। वहीं न्यूनतम तापमान 27 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। पिछले एक सप्ताह से लगातार मौसम का पारा 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर बना हुआ है। इस साल अप्रैल में रिकॉर्ड गर्मी पड़ रही है।


धूप में झुलस रहे लाल

भीषण गर्मी के बाद भी जिले में अभी भी निजी स्कूलों की कक्षाएं चल रही हैं। इन स्कूलों की छुट्टी दोपहर में होती है। इससे भीषण गर्मी के दौरान छोटे-छोटे वाहनों में छमता से अधिक बच्चों को भरने से वे गर्मी में झुलस रहे हैं। मासूम बच्चों की यह पीड़ न उनके अभिभावक समझ रहे हैं न स्कूल प्रबंधन और न ही वाहनों के मालिक।

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