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पवई विधानसभा: नाटकीय घटनाक्रम में मिला था प्रहलाद लोधी को भाजपा से टिकट, एक साल में ही खत्म हुई सदस्यता

- भाजपा और कांग्रेस दोनों ही खेमों में बढ़ी हलचल- एक साल में ही पवई विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव की आहट, बढ़ गईं राजनीतिक सरगर्मियां- प्रहलाद लोधी की सदस्यता खत्म: नाटकीय घटनाक्रम में मिला था भाजपा से टिकट

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powai vidhan sabha: Powai MLA prahlad lodhi membership terminated

powai vidhan sabha: Powai MLA prahlad lodhi membership terminated

पन्ना/ विधानसभा चुनाव में सपा प्रत्याशी के रूप में नामांकन फार्म भरने के बाद भी जिस अप्रत्याशित तरीके के प्रहलाद लोधी ने रातोंरात भाजपा की सदस्या ग्रहण कर कद्दावर पूर्व मंत्री के क्षेत्र में भाजपा का टिकट हथियाया था। उसी प्रकार उनकी विधायक के रूप में सदस्या भी चली गई। विधानसभा सचिवालय की ओर से उनकी सदस्या समाप्त करने के बाद पवई विधानसभा में उपचुनाव की आहट आने लगी है। ऐसे हालात में जिले में भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। सचिवालय ने जिस फुर्ती के साथ सदस्याता खत्म की है, उस पर भाजपा सवाल उठा रही है। हालांकि कांग्रेस इसे अपने लिए एक अवसर मान रही है। वहीं भाजपा के लिए बड़ा झटका है।

ये है मामला
गौरतलब है कि बीते साल हुए विधानसभा चुनाव में प्रहलाद लोधी ने सपा प्रत्याशी के रूप में पवई विधानसभा से अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था। पवई से भाजपा प्रत्याशी के रूप में पूर्व मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह की टिकट की घोषणा भी हो गई थी। नामांकन फार्म जमा करने की अंतिम तिथि के एक दिन पूर्व पार्टी ने बड़े ही अप्रत्याशित तरीके से पूर्व मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह को उनकी परंपरागत सीट पवई से हटाकर पन्ना भेज दिया और पवई से सपा प्रत्याशी के रूप में नामांकप फार्म भर चुके प्रहलाद लोधी को पार्टी का प्रत्याशी घोषित कर दिया था। पार्टी और पार्टी के बाहर के लोगों के लिए यह चौकाने वाला फैसला था।

इस मामले में छिनी सदस्यता
पन्ना जिले की तहसील रैपुरा में पदस्थ तहसीलदार आरके वर्मा ने 28 अगस्त 2014 को सिमरिया थाना अंर्तगत रेत से भरी ट्रैक्टर-ट्राली को जब्त कर थाने में खड़ा करा दिया था। वापस लौटते समय ग्राम मड़वा के पास प्रहलाद लोधी और साथियों ने बीच रोड पर मिक्सर मशीन खड़ी कर तहसीलदार वर्मा की जीप को रोककर उनके साथ मारपीट-गाली-गलोच की थी। इसी मामले में राजधानी की विशेष कोर्ट ने पवई विधायक प्रहलाद लोधी सहित अन्य 12 लोगों को दो साल की सजा सुनाई थी। इसी के आधार पर विधानसभा सचिवालय ने उनकी सदस्यता समाप्त कर दी है। इससे पवई में उप चुनाव की आहट सुनाई देने लगी है।

टिकट भी पूर्व मंत्री की काटी और हराया भी पूर्व मंत्री को
पवई से टिकट पाने के साथ ही वे पूर्व मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह की परंपरागत सीट हथिया चुके थे। वहीं सामने कांग्रेस के मझे हुए नेता व पूर्व मंत्री मुकेश नायक थे। चुनाव प्रचार के शुरुआती चरण में तो लोग उन्हें गंभीरता से नहीं ले रहे थे, लेकिन संजय नगायच की रणनीति और जातिगत समीकरण ने कमाल कर दिया और उन्होंने पूर्व मंत्री मुकेश नायक को भी लंबे अंतराल से हरा दिया। उनका पार्टी से टिकट पाना भी अप्रत्याशित था और जीतना भी जितना अप्रत्याशित था।

जिले में बढ़ गई राजनीतिक सरगर्मी
विधानसभा सचिवालय की ओर से पवई विधायक प्रहलाद लोधी की सदस्यता समाप्त करने की खबरें मीडिया में आने के बाद ही अचानक जिले के राजनेताओं की सक्रियता बढ़ गई है। कुछ लोग तो सोशल मीडिया में आपने लोगों से नाम उछालने के प्रयास कर रहे हैं। सोशल मीडिया के साथ ही मैदानी स्तर पर भी राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है। नेता भोपाल और दिल्ली में बैठे अपने आकाओं को फोन कर सेटिंग करने लगे हैं।

पवई में स्थानीयता हमेशा रहाता है महत्वपूर्ण मुद्दा
पन्ना जिले की तीन विधानसभाओं में से पवई भौगोलिक दृष्टि से सबसे बड़ी विधानसभा है। इसमें पवई के अलावा शाहनगर, रैपुरा, मोहंद्रा, श्यामगिरि, कल्दा और रैपुरा क्षेत्र आते हैं। यहां के नेताओं के लिये स्थानीय प्रत्याशी हमेशा बड़ा मुद्दा रहा है। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार आज भी बड़ी समस्याएं बनी हुई हैं। कल्दा क्षेत्र में अभी तक टेलीफोन व मोबाइल सेवा बहाल नहीं हो पाई है। क्षेत्र में रोजगार के अवसर सीमित होने से पलायन भी गंभीर समस्या बना हुआ है। जबकि इस क्षेत्र से विधायक बनने वालों में कैप्टन जयपाल सिंह, मुकेश नायक और बृजेन्द्र प्रताप सिंह को प्रदेश शासन के मंत्रिमंडल में स्थान तो मिला लेकिन क्षेत्र का विकास नहीं हो पाया। विकास के मामले में यह आज भी काफी पिछड़ा हुआ है।

विस क्षेत्र का राजनीतिक समीकरण
जातीय समीकरण पर नजर डालें तो यह हरिजन-आदिवासी बाहुल्य विधानसभा सीट है। यहां में सामान्य वर्ग के 41 फीसदी से अधिक मतदाता होने का अनुमान है। इसी प्रकार से ओबीसी वर्ग के 29 फीसदी, एसपी वर्ग के 19 फीसदी और एसटी के 5 फीसदी मतदाता होने का राजनीतिक दलों का अनुमान है। पिछले दो पंचवर्षीय चुनाव पर नजर डाले तो यहां से कांग्रेस के मुकेश नायक एवं भाजपा के बृजेन्द्र प्रताप सिंह के बीच मुकाबला रहा है। बृजेन्द्र प्रताप सिंह ने अपने 15 साल के राजनैतिक कैरियर में 2003 एवं 2008 विधानसभा चुनाव में भाजपा को जीत दिलाई। वर्ष 2008 में विधायक बनने के बाद उन्हें प्रदेश शासन में मंत्रिमंडल में भी जगह मिली।

पवई क्षेत्र से रहे विधायक
- प्रक्षीता अहिरवार दतिया कांग्रेस 1952 से 57
- जगसुरिया अहिरवार कांग्रेस 1957 से 64 तक
- राम सेवक पटेल सुंदरा कांग्रेस 6 7 से 71 तक
- जगदीश सिंह सुगरहा कांग्रेस 71 से 77 तक
- उमाशंकर पाठक जनता पार्टी 77 से 80 तक
- कैप्टन जयपालसिंह कांग्रेस 80 से 84 व 85 तक
- कैप्टन जयपालसिंह कांग्रेस 84-85 से 89 तक
- अशोक वीर विक्रम सिंह 89 से 94 तक
- मुकेश नायक कांग्रेस 94 से 99 तक
- अशोक वीर विक्रम सिंह सपा 99 से 2004 तक
- बृजेन्द्र प्रताप सिंह भाजपा 2004 से 8 व 9 तक
- बृजेन्द्र प्रताप सिंह भाजपा 2008 से 2013 तक
- मुकेश नायक कांग्रेस 2013 से 2018 तक
- प्रहलाद लोधी भाजपा 2018 से 2019

वर्ष 2013में मिले वोट
- मुकेश नायक कांग्रेस-78949
- बृजेंद्र प्रताप सिंह बीजेपी-67254
- फेरन सिंह- बसपा-11691
- घसोटा आदिवासी, गोणवाना गणतंत्र पार्टी- 3977

यदि उप चुनाव होते हैं तो अब प्रयास करेंगे कि जिले के ही किसी कार्यकर्ता को टिकट दी जाए। साथ ही वह सभी वर्गों के लोगों का प्रतिनिधित्व करने की क्षमता रखता हो और बेदाग छवि वाला हो।
दिव्या रानी सिंह, जिलाध्यक्ष कांग्रेस

विधानसभा सविचालय ने जिस फुर्ती से एक दिन में हमारे ओबीसी विधायक की सदस्या खत्म की है उससे कांग्रेस की ओबीसी विरोधी मानसिकता का पता चलता है। फैसले के खिलाफ पार्टी हाईकोर्ट जाने की तैयारी कर रही है। यह फैसला कोर्ट के निर्णय के आधार पर हुआ है इसलिए सजा पर स्टे मिलते ही यह फैसला भी रुक जाएगा।
सतानंद गौतम, भाजपा, जिलाध्यक्ष

मै दो ढाई लाख लोगों का जनप्रतिनिधि हूं। मारपीट का मामला झूठा था। मैं मौके पर था भी नहीं। जबरन मेरा नाम लिखा दिया गया था। मैंने कोई गलत काम नहीं किया। इसलिए पार्टी मेरे साथ है। हम मामले में अपील कर रहे हैं। वहां से जो न्याय मिलेगा उसका सम्मान करूंगा
प्रहलाद लोधी, पवई विधायक