यह रहेगा ग्रहण का समय
इस बार खंडग्रास सूर्यग्रहण भारतीय समय के अनुसार इसका स्पर्श मध्य रात्रि 12.15 पर होगा। ग्रहण का मध्य रात्रि से 2.12 पर व 4.08 बजे मोच्छ होगा। भारत में इस समाज रात्रि रहेगी। इसके कारण यह ग्रहण भारत में दृश्य नहीं होगा। इसलिए ग्रहण के लिए वेद सूतक, स्नान, दान, पुण्य, कर्म, यम, नियम, जप, अनुष्ठान हेतु मान्यता नहीं होगी। यह ग्रहण सिर्फ विदेशों में देखा जा सकेगा। ग्रहण दक्षिण अमेरिका, दक्षिण पश्चिमी भाग प्रशांत महासागर में दिखाई देगा। पिछले वर्ष 2021 में दो शनिश्चरी अमावस्या पड़ी थीं। पहली अमावस्या 13 मार्च को थी और दूसरी अमावस्या 4 दिसंबर को।
इस बार खंडग्रास सूर्यग्रहण भारतीय समय के अनुसार इसका स्पर्श मध्य रात्रि 12.15 पर होगा। ग्रहण का मध्य रात्रि से 2.12 पर व 4.08 बजे मोच्छ होगा। भारत में इस समाज रात्रि रहेगी। इसके कारण यह ग्रहण भारत में दृश्य नहीं होगा। इसलिए ग्रहण के लिए वेद सूतक, स्नान, दान, पुण्य, कर्म, यम, नियम, जप, अनुष्ठान हेतु मान्यता नहीं होगी। यह ग्रहण सिर्फ विदेशों में देखा जा सकेगा। ग्रहण दक्षिण अमेरिका, दक्षिण पश्चिमी भाग प्रशांत महासागर में दिखाई देगा। पिछले वर्ष 2021 में दो शनिश्चरी अमावस्या पड़ी थीं। पहली अमावस्या 13 मार्च को थी और दूसरी अमावस्या 4 दिसंबर को।
सूर्यग्रहण और अमावस्या का संयोग
30 अप्रेल को सूर्य ग्रहण रहेगा। इस दिन अमावस्या से संबंधित शुभ काम किए जा सकेंगे। पवित्र नदियों में स्नान और दर्शन करने का विशेष महत्व है। इस पर शनिदेव की पूजा करने से शनि दोष से राहत मिलेगी। इस दिन तेल, जूते, चप्पल, काले तिल, सरसों का तेल, उड़द, देसी चना आदि दान करने का का विधान है जिस दिन चंद्रमा दिखाई नहीं देता है और इस तिथि के स्वामी पितर हैं। इसलिए पितरों के लिए भी श्राद्ध-तर्पण करना इस दिन शुभ रहता है।सा
30 अप्रेल को सूर्य ग्रहण रहेगा। इस दिन अमावस्या से संबंधित शुभ काम किए जा सकेंगे। पवित्र नदियों में स्नान और दर्शन करने का विशेष महत्व है। इस पर शनिदेव की पूजा करने से शनि दोष से राहत मिलेगी। इस दिन तेल, जूते, चप्पल, काले तिल, सरसों का तेल, उड़द, देसी चना आदि दान करने का का विधान है जिस दिन चंद्रमा दिखाई नहीं देता है और इस तिथि के स्वामी पितर हैं। इसलिए पितरों के लिए भी श्राद्ध-तर्पण करना इस दिन शुभ रहता है।सा
साल में 12 अमावस्या, शनिचरी अमावस्या का विशेष महत्व
पौराणिक शास्त्रों व हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि को महत्वपूर्ण माना गया है। एक साल में 12 अमावस्या होती हैं। साधारण शब्दों में हम कहें तो जिस दिन चंद्रमा दिखाई नहीं देता उस दिन को अमावस्या कहते हैं। दिन के अनुसार पढऩे वाली आवश्यक के अलग-अलग नाम होते हैं। जैसे सोमवार को पढऩे वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं। शनिवार को पढऩे वाली अमावस्या को शनिश्चरी अमावस्या कहा जाता है। एक वर्ष में आने वाली 12 अमवस्या मेेंं शनिश्चरी अमावस्या का विशेष महत्व रहता हैथ
पौराणिक शास्त्रों व हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि को महत्वपूर्ण माना गया है। एक साल में 12 अमावस्या होती हैं। साधारण शब्दों में हम कहें तो जिस दिन चंद्रमा दिखाई नहीं देता उस दिन को अमावस्या कहते हैं। दिन के अनुसार पढऩे वाली आवश्यक के अलग-अलग नाम होते हैं। जैसे सोमवार को पढऩे वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं। शनिवार को पढऩे वाली अमावस्या को शनिश्चरी अमावस्या कहा जाता है। एक वर्ष में आने वाली 12 अमवस्या मेेंं शनिश्चरी अमावस्या का विशेष महत्व रहता हैथ