पत्रिका द्वारा चलाए जा रहे अभियान प्रदेश भी क्यों न हो शराब मुक्त को लेकर जिले के स्वयं सेवी संगठनों ने भी मोर्चा खोल दिया है। लोगों का कहना है कि सरकार को शराब दुकानों की नीलामी से होने वाली आय तो दिखती है, लेकिन शराबियों के इलाज में अस्पतालों में किया जा रहा खर्च नहीं दिखता है। इसके अलावा न जाने कितने लोग शराब के कारण असमय कालकवलित हो रहे हैं और कितने बच्चों के सिर से असमय ही परिवार का साया छूट जाता है।