क्यों लंबे समय तक क्रिकेट नहीं खेल पाया बिहार?
विवाद की शुरुआत वर्ष 2000 में हुई थी। राष्ट्रीय जनता दल की सरकार के समय बिहार क्रिकेट संघ पर जब लालू प्रसाद यादव का वर्चस्व बढ़ा, तब भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के साथ विवाद शुरू हुआ और क्रिकेट की दुनिया में आधिकारिक रूप से बिहार की मान्यता वर्ष 2002 में रद्द हो गई। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के इस रुख का बिहार को जहां नुकसान हुआ, वहीं झारखंड क्रिकेट के लिए यह फायदेमंद रहा। झारखंड क्रिकेट संघ को मान्यता मिल चुकी थी। बिहार के खिलाड़ी झारखंड या अन्य टीमों के साथ खेलने के लिए मजबूर हुए और बिहार में क्रिकेट का बहुत नुकसान हुआ। अब क्रिकेट में बिहार की टीम की विगत वर्ष वापसी हुई है, जिससे बिहार के क्रिकेट प्रेमियों और खिलाडिय़ों में नए उत्साह का संचार हुआ है।
कब-कब होंगे पटना में मैच?
28 नवंबर से 1 दिसंबर तक सिक्किम के खिलाफ, 6 से 9 दिसंबर तक अरुणाचल प्रदेश के खिलाफ, 22 दिसंबर से 25 दिसंबर तक नगालैंड के खिलाफ, 7 जनवरी से 10 जनवरी तक मणिपुर के खिलाफ। पटना के अलावा बिहार क्रिकेट टीम को आगे शिलांग में 14 दिसंबर से 17 दिसंबर तक मेघालय टीम के खिलाफ और जोरहट में 30 दिसंबर से 2 जनवरी तक मिजोरम टीम के खिलाफ मैच खेलने हैं।
बिहार क्रिकेट में सुधार जरूरी
विगत वर्ष क्रिकेट में मान्यता मिलने के बाद बिहार क्रिकेट टीम विजय हजारे ट्रॉफी समेत 9 मैच खेल चुकी है, जिसमें से 7 मैचों में टीम को जीत मिली है। विजय हजारे ट्रॉफी के क्वार्टर फाइनल में मुंबई की टीम ने बिहार की टीम को 9 विकेट से हरा दिया था। अच्छी टीमों के खिलाफ बिहार टीम को अपना प्रदर्शन सुधारना पड़ेगा।
विगत वर्ष क्रिकेट में मान्यता मिलने के बाद बिहार क्रिकेट टीम विजय हजारे ट्रॉफी समेत 9 मैच खेल चुकी है, जिसमें से 7 मैचों में टीम को जीत मिली है। विजय हजारे ट्रॉफी के क्वार्टर फाइनल में मुंबई की टीम ने बिहार की टीम को 9 विकेट से हरा दिया था। अच्छी टीमों के खिलाफ बिहार टीम को अपना प्रदर्शन सुधारना पड़ेगा।