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लालू-तेजस्वी को बड़ी राहत, लैंड फॉर जॉब मामले में टला फैसला, अब इस दिन होगी सुनवाई

बिहार चुनाव के बीच लालू प्रसाद यादव परिवार को राहत मिली है। राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने सोमवार को लैंड फॉर जॉब मामले में आरोप तय करने की प्रक्रिया टाल दी। अदालत 4 दिसंबर को अपना फैसला सुनाएगी।

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पटना

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Anand Shekhar

Nov 10, 2025

राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव। (Photo-IANS)

नई दिल्ली की राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने सोमवार को लैंड फॉर जॉब मामले में आरोप तय करने के आदेश को फिलहाल टाल दिया है। अब अदालत 4 दिसंबर को इस पर अपना फैसला सुनाएगी। इस मामले में पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, सांसद मीसा भारती, बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, हेमा यादव, तेज प्रताप यादव सहित कई अन्य आरोपी शामिल हैं। CBI पहले ही सभी के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर चुकी है।

क्या है मामला?

यह केस 2004 से 2009 के बीच का है, जब लालू प्रसाद यादव केंद्र में रेल मंत्री थे। CBI का आरोप है कि इस अवधि में रेलवे में ग्रुप-डी नौकरियों के बदले उम्मीदवारों से जमीन लेने का सौदा हुआ। यह जमीनें बहुत कम कीमतों पर कथित तौर पर लालू प्रसाद यादव के परिवार के सदस्यों या उनके करीबी लोगों के नाम पर ट्रांसफर करवाई गईं।

4 दिसंबर को होगी सुनवाई

लैंड फॉर जॉब मामले में अगस्त 2024 में दोनों पक्षों की दलीलें पूरी हो गई थीं, जिसके बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सोमवार को इस मामले में आरोप तय किया जाना था, लेकिन सुनवाई के दौरान अदालत ने आरोप तय करने पर फैसला आगे बढ़ा दिया। अब 4 दिसंबर को कोर्ट इस मामले में सुनवाई कर अपना फैसला सुनाएगी।

आरोप तय होने के बाद शुरू होगा ट्रायल

4 दिसंबर को यह तय होगा कि इस मामले में आरोपियों पर अधिकारिक रूप से आरोप तय किए जाएं या नहीं। यदि आरोप तय होते हैं, तो आगे ट्रायल की प्रक्रिया शुरू होगी। यदि अदालत आरोपों को पर्याप्त आधार नहीं मानती, तो कुछ आरोपियों को राहत भी मिल सकती है।

इससे पहले भी एक बड़ा फैसला

ध्यान देने वाली बात यह है कि 13 अक्टूबर को इसी अदालत ने लालू प्रसाद यादव और अन्य आरोपियों पर आईआरसीटीसी घोटाला मामले में आरोप तय किए थे। उस मामले में भी CBI ने लालू परिवार पर अनियमित लाभ देने के बदले गैरकानूनी लेनदेन के आरोप लगाए हैं। कोर्ट ने आईपीसी 420 (धोखाधड़ी), आईपीसी 120बी (आपराधिक साजिश), भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(2) और धारा 13(1)(डी) (सरकारी पद का दुरुपयोग करके अनुचित लाभ प्राप्त करने) के तहत आरोप तय किए थे।