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शादीशुदा महिलाओं को वोटर बनने के लिए देना होगा यह कागज, चुनाव आयोग ने लिस्ट से हटाए 35.5 लाख नाम

चुनाव आयोग ने कहा कि वह वोटर लिस्ट में सुधार कर रहा है ताकि फर्जी नाम हटाए जा सकें।

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पटना

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Ashish Deep

Jul 15, 2025

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बिहार में 30 सितंबर को फाइनल वोटर लिस्ट आएगी। (फोटो : ANI)

Bihar Voter List 2025 : बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची को लेकर सियासी सरगर्मी तेज है। चुनाव आयोग के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision) के तहत करीब 35.5 लाख वोटरों के नाम Voter List से काट दिए हैं। विपक्ष ने इसे राजनीतिक साजिश करार दिया है। हालांकि चुनाव आयोग ने कहा कि वह वोटर लिस्ट में सुधार कर रहा है ताकि फर्जी नाम हटाए जा सकें। इसके साथ ही चुनाव आयोग ने यह भी कहा है कि शादीशुदा महिलाओं को वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने के लिए अपने माता-पिता के पहचान पत्र लगाने होंगे।

क्या है मामला?

चुनाव आयोग की गाइडलाइन के मुताबिक, इस बार वोटर वेरिफिकेशन दो चरणों में हो रहा है। पहले चरण में सिर्फ फॉर्म भरवाए जा रहे हैं ताकि ड्राफ्ट मतदाता सूची को तय समय पर छापा जा सके। दूसरे चरण में बीएलओ (BLO) घर-घर जाकर मतदाता पहचान के लिए 11 वैध दस्तावेजों में से कोई 1 दस्तावेज मांगेंगे और उसकी रसीद देंगे। बिहार में अब तक 88.18% यानी करीब 6.6 करोड़ मतदाताओं ने अपने फॉर्म जमा कर दिए हैं। मतदाताओं को 25 जुलाई तक अपने फॉर्म भरने का समय दिया गया है, जिसके बाद ड्राफ्ट लिस्ट जारी होगी।

किस आधार पर हटाए जा रहे हैं नाम?

चुनाव आयोग के मुताबिक, यह कदम खामियों को दूर करने और डुप्लिकेट, मृत व बाहर ट्रांसफर हो चुके वोटरों के नाम हटाने के लिए उठाया गया है। आयोग द्वारा जारी ताजा आंकड़े कुछ चौंकाने वाले हैं:

1- 12.5 लाख मतदाता (1.59%) मृत पाए गए हैं, लेकिन उनके नाम अब भी लिस्ट में हैं।

2- 17.5 लाख मतदाता (2.2%) बिहार से स्थायी रूप से बाहर चले गए हैं।

3- 5.5 लाख नाम (0.73%) डुप्लिकेट यानी एक ही व्यक्ति के दो जगह पंजीकरण पाए गए हैं।

इन सबको मिलाकर कुल 35.5 लाख मतदाताओं के नाम हटाए जाएंगे, जो बिहार के कुल मतदाताओं का लगभग 4.5% हिस्सा है।

विदेशी नागरिकों का नाम भी लिस्ट में

आयोग के मुताबिक सत्यापन जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है, बीएलओ की फील्ड रिपोर्ट में एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। जांच में यह पाया गया कि कुछ विदेशी नागरिक, खासकर नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार के मूल निवासी भी बिहार के वोटर लिस्ट में शामिल हो गए हैं। इन लोगों के पास आधार कार्ड, राशन कार्ड और निवास प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेज भी हैं, जो संभवतः अवैध तरीकों से बनाए गए हैं। चुनाव आयोग ने कहा है कि ऐसे मामलों की गहन जांच के बाद ही नामों को हटाया जाएगा।

कौन से दस्तावेज मान्य हैं?

वर्ष 2003 से पहले वोटर लिस्ट में शामिल मतदाताओं को केवल अपना एपिक नंबर और नवीनतम फोटो देना है।
वहीं 2003 के बाद जोड़े गए मतदाताओं को अपने माता-पिता का एपिक नंबर (2003 की लिस्ट से) और कोई एक दस्तावेज जैसे मैट्रिक सर्टिफिकेट, राशन कार्ड, पासपोर्ट या आवास प्रमाण पत्र देना होगा। इसमें माता-पिता के साथ उनका नाम दर्ज हो।शादीशुदा महिलाओं के लिए, ससुराल की बजाय मायके से जुड़े दस्तावेज देना अनिवार्य किया गया है।

विपक्ष क्यों चिंतित है?

राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव ने इस प्रक्रिया पर गंभीर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि अगर हरेक विधानसभा क्षेत्र में सिर्फ 1% वोटर भी हटते हैं तो हरेक में से औसतन 3,200 नाम कम होंगे। लेकिन चुनाव आयोग की छंटनी में यह आंकड़ा 5% पार कर चुका है, जो सीधे तौर पर चुनाव परिणामों को प्रभावित कर सकता है। विपक्ष का आरोप है कि यह प्रक्रिया कुछ खास समुदायों और इलाकों को निशाना बनाकर चलाई जा रही है, ताकि सत्ताधारी दल को फायदा हो।