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प्रियरंजन भारती
पटना। लोकसभा चुनाव 2019 के पहले बिहार की सियासी जमात में घमासान के बुलबुले अब और तेजी से उठने लगे हैं। केंद्र में सत्ता के साझादार रालोसपा जहां राज्य में मुख्यमंत्री पद पर नजर गड़ाए हुए है और अपनी इसी रणनीति के तहत वह राज्य के मुख्यमंत्री और जेडीयू के मुखिया नीतीश कुमार पर समय-समय पर निशाने पर भी साधती रही है। वहीं रालोसपा को अपनी इस कोशिश में न सिर्फ नीतीश की पार्टी, बल्कि भाजपा के सुशील मोदी के प्रखर विरोध का भी सामना करना पड़ रहा है। हालांकि इन सारी कवायद से विपक्ष यानी राजद और उसके सहयोगियों की बांछें खिल गई हैं।
यूं नीतीश के बचाव में आए मोदी
बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता और सूबे के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को हटाने की बात पर सहमत नहीं हैं। उन्होंने ट्विटर पर अपनी राय जा़हिर की है। रालोसपा नेता और केंद्रीय राज्यमंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने कहा था कि नीतीश कुमार को दूसरे नेताओं के लिए जगह खाली करते हुए मुख्यमंत्री पद स्वतः ही छोड़ देना चाहिए। उपेंद्र कुशवाहा के इस वक्तव्य को विपक्षी दलों ने एक दिन पहले ही एनडीए पर वार का एक बड़ा औजार बनाते हुए हमले तेज कर दिए।
विपक्षियों ने बनाया औजार
जदयू ने कुशवाहा पर पलटवार भी किए। गुरुवार को भाजपा की ओर से सुशील मोदी नीतीश के बचाव में सीधे कूद पड़े। ट्वीट में कहा कि 2020 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद से अलग करने के कुछ एनडीए नेता के बयान से भाजपा सहमत नहीं है। सुशील मोदी का यह बयान ऐसे समय आया है, जब विपक्ष लगातार उनके खिलाफ आक्रामक बना हुआ है। मोदी नीतीश कुमार के बेहद करीबी नेताओं में गिने जाते रहे हैं। एनडीए से जदयू के अलग रहने के दौर में भी वह नीतीश के करीबियों के रूप में चर्चित होते आए हैं।
Published on:
26 Jul 2018 05:41 pm
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