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बिहार विधानपरिषद चुनाव के लिए राजद के प्रत्याशियों ने नामांकन भरा, जानिए क्या रहेगा वोटों का गणित

बिहार विधानपरिषद चुनाव के लिए राष्ट्रीय जनता दल के चारों उम्मीदवारों ने शुक्रवार को नामांकन पत्र भर दिया हैं।

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पटना

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Prateek Saini

Apr 13, 2018

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(पटना/बिहार): बिहार विधानपरिषद चुनाव के लिए राष्ट्रीय जनता दल के चारों उम्मीदवारों ने शुक्रवार को नामांकन पत्र भरा। गुरूवार को बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव ने चारों प्रत्याशियों के नामों की घोषणा की थी। प्रत्याशियों के तौर पर राबड़ी देवी, राजद के प्रदेशाध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे और सैयद मोहसिन खुर्शीद ने नामांकन भरा। जबकि हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा की सीट पर संतोष सुमन को रजद ने अपना समर्थन देने की बात कही हैं। संतोष सुमन राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन कुमार मांझी के बेटे हैं। इस मौके पर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव व पार्टी के अन्य नेता मौजूद रहे।

राजद के लिए यह रहेगा वोटों का गणित

बिहार विधानपरिषद की खाली हो रही 11 सीटों पर आगामी 26 तारीख को चुनाव होने वाले है। राष्ट्रीय जनता दल की ओर से चार प्रत्याशियों ने नामांकन भर दिया है। इस चुनाव में विधायकों की संख्या के आधार पर किसी भी पार्टी की जीत तय होने वाली हैं। एक सीट पर जीत के लिए प्रथम वरीयता पर कम से कम 21 वोटों की जरूरत रहेगी। राजद के पास वर्तमान समय में 80 विधायक हैं। हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा की एक सीट मान ले तो राजद का समर्थन करने वाले विधायकों की संख्या 81 हो जाती हैं।

चारो सीटों पर जीत के लिए राजद को 84 वोटों की आवश्यकता होगी। चार विधायकों को अपने पक्ष में करने के लिए पार्टी को अतिरिक्त प्रयास करना पड़ेगा। ऐसे में राजद को कांग्रेस का सहयोग चाहिए होगा। कांग्रेस के मौजूदा विधायकों की संख्या 27 हैं। गौरतलब है कि अभी तक कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों के नाम सार्वजनिक नहीं किए हैं।

राजद के प्रत्याशियों का राजनीतिक अनुभव

राबड़ी देवी और रामचंद्र पूर्वे तीसरी बार विधानपरिषद में जाने वाले हैं। राबड़ी देवी बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री भी रह चुकी हैं और रामचंद्र पूर्वे वर्तमान में बिहार राजद के अध्यक्ष के तौर पर काम देख रहे हैं। सैयद मोहसिन खुर्शीद और संतोष सुमन के लिए विधानपरिषद जाने का यह पहला मौका हैं। संतोष सुमन को राजद की ओर से समर्थन मिलने की बात उसी दिन तय हो गई थी जब जीतन कुमार मांझी ने एनडीए से किनारा किया था। बता दे कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री भी विधान परिषद के सदस्य हैं। कार्यकाल खत्म होने वालों की सूची में ये भी शामिल हैं।