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Voter List : नेपाली से लेकर म्यांमार वाले तक बन गए बिहारी, Aadhaar-Ration Card तक बना लिया

Bihar Voter List : कोर्ट ने चिंता जताई कि करीब 8 करोड़ लोगों की इतनी बड़ा आबादी की जांच चुनाव से पहले पूरी करना मुश्किल होगा।

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पटना

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Ashish Deep

Jul 14, 2025

Bihar Voter List 2025: INDIA ब्लॉक इस प्रोसेस का विरोध कर रहा हैै। ANI

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चल रहे मतदाता सूची के Special Intensive Revision (SIR) के तहत निर्वाचन आयोग की टीम ने राज्य में बड़ी संख्या में नेपाली, बांग्लादेशी और म्यांमार मूल के लोगों की पहचान की है। सर्वेक्षण के दौरान पता चला है कि इन लोगों ने आधार, राशन कार्ड और निवास प्रमाणपत्र जैसे भारतीय दस्तावेज अवैध तरीकों से हासिल कर लिए हैं।

वोटर लिस्ट अगस्त में होगी अपडेट

24 जून से शुरू हुए इस अभियान के दौरान Block Level Officer (BLO) घर-घर जाकर सर्वे कर रहे हैं। BLO की रिपोर्ट के अनुसार कई ऐसे लोग पाए गए हैं, जिनके दस्तावेजों पर संदेह है। अब 1 अगस्त से 30 अगस्त तक इन मामलों की गहराई से जांच होगी। आरोप सिद्ध होने पर ऐसे नाम मतदाता सूची से हटा दिए जाएंगे।

बीजेपी बोली- फर्जी वोटर हटेंगे

यह मुद्दा अब चुनावी राजनीति का हिस्सा बन चुका है। सत्तारूढ़ दल बीजेपी ने इसे 'फर्जी वोटरों को हटाने' का सही कदम बताया है, जबकि विपक्षी दल खासकर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस ने इस प्रक्रिया की टाइमिंग पर सवाल खड़े किए हैं। उनका आरोप है कि यह कदम जानबूझकर कुछ वर्गों के मतदाताओं को बाहर करने के लिए उठाया गया है।

सांसदों-संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की याचिका

मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। RJD सांसद मनोज झा, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स, पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज, योगेंद्र यादव, ममता बनर्जी की पार्टी TMC की सांसद महुआ मोइत्रा और पूर्व विधायक मुजाहिद आलम ने याचिकाएं दाखिल की हैं।

आयोग ने यही टाइमिंग क्यों चुनी

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि आयोग की प्रक्रिया गलत नहीं है, लेकिन इसकी टाइमिंग पर गंभीर सवाल हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि आधार, राशन कार्ड और चुनाव आयोग का पहचान पत्र नागरिकता का पुख्ता प्रमाण नहीं हैं, लेकिन फिलहाल इनसे मतदाता की पहचान सत्यापित की जा सकती है।

सही मतदाता वोटर लिस्ट से हटा तो वोट डालने से रह जाएगा

कोर्ट ने चिंता जताई कि करीब 8 करोड़ लोगों की इतनी बड़ा आबादी की जांच चुनाव से पहले पूरी करना मुश्किल होगा। अगर कोई वास्तविक मतदाता गलत तरीके से सूची से हट गया तो उसे वोट डालने से पहले अपनी बात रखने का मौका नहीं मिलेगा। कोर्ट ने सुझाव दिया कि यह प्रक्रिया चुनाव से अलग कर होनी चाहिए।