
1 अक्टूबर को आएगी वोटर लिस्ट । (फोटो सोर्स : IANS)
चुनाव आयोग ने बिहार में चल रही Special Intensive Revision (SIR) जांच की शुरुआती रिपोर्ट जारी करते हुए चौंकाने वाले आंकड़े सामने रखे हैं। 52 लाख लापता मतदाताओं में 1 लाख वोटर का कोई सुराग नहीं लग रहा। चुनाव आयोग परेशान है कि उनकी पहचान कैसे की जाए। BLO गांव-गांव चक्कर काट रहे हैं। चुनाव आयोग से जुड़े कर्मचारी तक यहां-वहां की खाक छान रहे लेकिन एक आदमी का नामो-निशां तक नहीं मिला।
आयोग के मुताबिक अब तक की जांच में करीब 18 लाख मृतकों के नाम मतदाता सूची में पाए गए हैं, वहीं 26 लाख लोग दूसरे विधानसभा क्षेत्रों में स्थानांतरित हो चुके हैं, लेकिन उनके नाम पुराने स्थान पर भी दर्ज हैं। इसके अलावा 7 लाख से अधिक लोगों का नाम दो जगहों पर नामांकन में दर्ज है।
बिहार के 12 प्रमुख राजनीतिक दलों के जिला प्रतिनिधियों के साथ 1 अगस्त से पहले बैठक में साझा किए जाने वाले इन आंकड़ों ने राज्य की मतदाता सूची पर सवाल खड़े कर दिए हैं। चुनाव आयोग के अनुसार अब तक कुल 7.89 करोड़ मतदाता की पहचान हो चुकी है, जिनमें से लगभग 6.6 प्रतिशत वोटर अपने पते पर नहीं पाए गए।
आयोग की रिपोर्ट बताती है कि कुल 52.30 लाख मतदाता ऐसे हैं, जो अब अपने पुराने पते पर नहीं रहते। इनमें से 18.66 लाख लोग अब तक की रिपोर्ट के अनुसार मृत घोषित हो चुके हैं, 26.01 लाख लोग स्थायी रूप से दूसरी जगह जा चुके हैं, 7.5 लाख वोटर एक से अधिक स्थानों पर नामांकित हैं और लगभग 1.14 लाख मतदाताओं का अब तक कोई पता नहीं चल पाया है।
अब तक कुल 97.3% मतदाता या तो फॉर्म के जरिएए या फिजिकल सत्यापन के जरिए जांचे जा चुके हैं, लेकिन अब भी 2.7% फॉर्मों का कैलकुलेशन बाकी है, जिनकी संख्या लगभग 21.35 लाख है। निर्वाचन आयोग ने साफ किया है कि 1 अगस्त से 1 सितंबर 2025 के बीच कोई भी व्यक्ति अपने नाम को सूची में जोड़ने, हटाने या सुधार करवाने के लिए आवेदन कर सकता है।
Published on:
23 Jul 2025 12:20 pm
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