मिलता है बदबूदार पानी
साफ पानी उसे कहते हैं, जिसमें कोई गंध नहीं होती, कोई जिसका रंग नहीं होता, कोई स्वाद नहीं होता, लेकिन पटना में ऐसा नहीं है। पटना के जिन इलाकों में नल से आपूर्ति होती है, वहां से पानी के गंदा होने की शिकायत आती रहती है। कई बार बदबूदार पानी आता है, लोग इसे पीने के काम में नहीं लेते हैं। पटना और बिहार के अन्य शहरों में भी पानी बेचने वाली कंपनियां चांदी काट रही हैं। टैंकर से भी पानी खरीदकर पीना पड़ता है। सरकारी जल का इस्तेमाल नहाने-धोने के लिए ही किया जाता है। लोग पीने के लिए पानी बोरिंग से ही निकालते हैं। जिनको बोरिंग की सुविधा नसीब नहीं है, वे लाइनों में खड़े होकर अपने लिए पानी जुटाते हैं, लेकिन पानी की गुणवत्ता की गारंटी नहीं है।
दशकों से ड्रेन की सफाई नहीं
विगत महीने 17 नवंबर को एक दस वर्षीय बालक पटना के एक ड्रेन में गिर गया। पटना नगर निगम के अधिकारियों के पास ड्रेन सिस्टम का मैप नहीं था। एक सेवानिवृत्त इंजीनियर ने एक मैप दिया, लेकिन वह मैप पुराना हो चुका था। अपने ही खराब कामकाज की वजह से निगम के अधिकारियों की बड़ी थू-थू हुई। लापरवाही चरम पर नजर आई। सच यह है कि पटना में अनेक ड्रेन हैं, जिनकी दशकों से सफाई नहीं हुई है। ये ड्रेन भी पेयजल आपूर्ति को दुष्प्रभावित कर रहे हैं। नई पाइप लाइन बिछाने का काम भी धीमा चल रहा है। कुछ ही इलाके इससे लाभान्वित हुए हैं और ज्यादातर इलाकों को बस साफ सार्वजनिक आपूर्ति का इंतजार है।
करने पड़ेंगे बड़े उपाय
1 – बड़ी नदियों पर छोटे-छोटे डैम बनाकर जल संग्रहण करना पड़ेगा।
2 – ज्यादातर सूखी रहने वाली नहरों में भी जल संग्रहण करना पड़ेगा।
3 – जल-शोधन के अनेक संयंत्र बड़े पैमाने पर संचालित करने पड़ेंगे।
4 – भू-जल के अत्यधिक दोहन पर कड़ाई से लगाम की जरूरत है।
5 – भूमि, जल, वायु प्रदूषण रोकने के लिए अभियान चलाने पड़ेंगे।