scriptस्मार्ट होता पटना आखिर क्यों पीता है गंदा पानी? | Why Smart Patna is drinking dirty water | Patrika News

स्मार्ट होता पटना आखिर क्यों पीता है गंदा पानी?

locationपटनाPublished: Dec 05, 2018 07:34:29 pm

Submitted by:

Gyanesh Upadhyay

पटना विश्व के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में से एक है। प्रदूषित और अभाव ग्रस्त शहरों में बिहार के शहर गिने जाते हैं।

करने पड़ेंगे बड़े उपाय

करने पड़ेंगे बड़े उपाय

पटना। लोग गंगाजल घर में रखते हैं, वह कभी खराब नहीं होता। ऐसी गंगा नदी के किनारे पटना बसा है, लेकिन यहां भी लोग शुद्ध पानी को तरसते हैं। यहां नल से आपूर्ति की सुविधा तो है, लेकिन इस पानी का इस्तेमाल पेयजल के रूप में नहीं होता। ज्यादातर लोगों ने भू-जल दोहन के लिए बोरिंग करा रखा है। लोग भू-जल को शुद्ध मानते हैं, जबकि भू-जल जहरीला हो चुका है। विशेषज्ञ मानते हैं कि स्मार्ट सिटी होने की राह पर बढ़ रहे पटना के नागरिकों को जागरूक बनना पड़ेगा, तभी उनको साफ जल की आपूर्ति हो पाएगी।

मिलता है बदबूदार पानी
साफ पानी उसे कहते हैं, जिसमें कोई गंध नहीं होती, कोई जिसका रंग नहीं होता, कोई स्वाद नहीं होता, लेकिन पटना में ऐसा नहीं है। पटना के जिन इलाकों में नल से आपूर्ति होती है, वहां से पानी के गंदा होने की शिकायत आती रहती है। कई बार बदबूदार पानी आता है, लोग इसे पीने के काम में नहीं लेते हैं। पटना और बिहार के अन्य शहरों में भी पानी बेचने वाली कंपनियां चांदी काट रही हैं। टैंकर से भी पानी खरीदकर पीना पड़ता है। सरकारी जल का इस्तेमाल नहाने-धोने के लिए ही किया जाता है। लोग पीने के लिए पानी बोरिंग से ही निकालते हैं। जिनको बोरिंग की सुविधा नसीब नहीं है, वे लाइनों में खड़े होकर अपने लिए पानी जुटाते हैं, लेकिन पानी की गुणवत्ता की गारंटी नहीं है।

दशकों से ड्रेन की सफाई नहीं
विगत महीने 17 नवंबर को एक दस वर्षीय बालक पटना के एक ड्रेन में गिर गया। पटना नगर निगम के अधिकारियों के पास ड्रेन सिस्टम का मैप नहीं था। एक सेवानिवृत्त इंजीनियर ने एक मैप दिया, लेकिन वह मैप पुराना हो चुका था। अपने ही खराब कामकाज की वजह से निगम के अधिकारियों की बड़ी थू-थू हुई। लापरवाही चरम पर नजर आई। सच यह है कि पटना में अनेक ड्रेन हैं, जिनकी दशकों से सफाई नहीं हुई है। ये ड्रेन भी पेयजल आपूर्ति को दुष्प्रभावित कर रहे हैं। नई पाइप लाइन बिछाने का काम भी धीमा चल रहा है। कुछ ही इलाके इससे लाभान्वित हुए हैं और ज्यादातर इलाकों को बस साफ सार्वजनिक आपूर्ति का इंतजार है।

करने पड़ेंगे बड़े उपाय
1 – बड़ी नदियों पर छोटे-छोटे डैम बनाकर जल संग्रहण करना पड़ेगा।
2 – ज्यादातर सूखी रहने वाली नहरों में भी जल संग्रहण करना पड़ेगा।
3 – जल-शोधन के अनेक संयंत्र बड़े पैमाने पर संचालित करने पड़ेंगे।
4 – भू-जल के अत्यधिक दोहन पर कड़ाई से लगाम की जरूरत है।
5 – भूमि, जल, वायु प्रदूषण रोकने के लिए अभियान चलाने पड़ेंगे।

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