
धन के मोह में फंसी दुलारी बाई को पढ़ाया पाठ
जयपुर. ज्योति कला संस्थान और राजस्थान संगीत नाटक अकादमी जोधपुर की ओर से रवीन्द्र मंच पर नाट्यगुरु एस वासुदेव की स्मृति में तीन दिवसीय नाट्य समारोह की शुरुआत हुई। पहले दिन मणि मधुकर के लिखे नाटक 'दुलारी बाई' की संगीतयमय प्रस्तुति हुई। मणि ने इसे कुचामणी ख्याल शैली में लिखा है और इसका निर्देशन वरिष्ठ रंगकर्मी साबिर खान ने किया। नाटक की कहानी एक बेहद ही कंजूस स्त्री दुलारी बाई के इर्दगिर्द घूमती है। दुलारी बाई कंजूस और मूर्ख है। दुलारी के पास उसके पूर्वजों का जमा किया हुआ बहुत पैसा है। इसी लालच में कल्लू नामक व्यक्ति बहरूपिया बनकर उसे अपने जाल में फं सा लेता है। वह राजा का वेश रखकर उससे शादी कर लेता है। नाटक में होने वाली घटनाओं और संवादों से उपजे हास्य ने दर्शकों को खूब हंसाया। नाटक के जरिए जरूरत से ज्यादा धनसंचय और खर्च न करने की प्रवृत्ति पर कटाक्ष किया गया है।
लोक रंगों को बयां करता नाटक
दुलारी बाई लोक रंगों और परिवेश से जुड़ी एक लोक कथा है। जिसमें लोक नाटक, लोक संगीत, स्थानीय बोली और परिवेश का खूबसूरत चित्रण है। नाटक को हास्य का रंग दुलारी के अपने फटे पुराने जूतों से छुटकारा पाने की चाहत के रूप में दिया जाता है, लेकिन वह जूते दुलारी से अलग नहीं होते। दुलारी बाई गांव की एक कंजूस औरत है जिसके लिए धन और सोने की लालसा जिंदगी में सर्वोपरि है। पुरखों की दौलत कहीं शादी के बाद पति के पास नहीं चली जा, इसलिए वह शादी भी नहीं करती है और इसी उहा पोह में वह नासमझी का शिकार होकर गांव के कल्लू से शादी रचा बैठती है। जब उसे अहसास होता है कि सोने और धन की लालसा से ज्यादा महत्व इनसानी रिश्तों और प्रेम का होता है।
मंच पर
नाटक में आयुषी दीक्षित, जितेन्द्र शर्मा, आरिफ खान, सचिन, ओम प्रजापत और महिपाल सहित कई कलाकारों ने अभिनय किया है। म्यूजिक अनिल सिन्हा ने दिया, वहीं लाइटिंग पर उज्जवल थे। समारोह के दूसरे दिन शुक्रवार को विजय तेंदुलकर के लिखे नाटक 'बेबीÓ की प्रस्तुति होगी, इसका निर्देशन विनोद कुमार जोशी करेंगे।
Published on:
13 Feb 2020 09:14 pm
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