
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पीएम मोदी (Photo-IANS)
India US Trade Deal: भारत (India) पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने के बाद आज अमेरिकी प्रतिनिधि (US Representative) भारत संग ट्रेड डील को लेकर बातचीत करेंगे। अमेरिकी सरकार का प्रतिनिधित्व ब्रेंडन लिंच (Brendan Lynch) करेंगे। वह भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय अधिकारियों के साथ बातचीत करेंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत संग डील न होने पाने के कारण लगातार बयान देते रहे हैं। वह कभी नरम हो जाते हैं और कभी गरम हो जाते हैं।
इंडिया-यूएस ट्रेड डील को आगे बढ़ाने के लिए अमेरिका की तरफ से ब्रेंडन लिंच नई दिल्ली पहुंचे हैं। लिंच ने बोस्टन कॉलेज से पढ़ाई पूरी करने के बाद जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी से MBA की डिग्री हासिल की। वह आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक ब्रेंडन लिंच साल 2013 में अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय के एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट में शामिल हुए। यहां उन्होंने अमेरिकी कृषि व्यापार हितों को आगे बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अमेरिका और मिडिल ईस्ट के देशों के साथ महत्वपूर्ण समझौते कराए। उन्होंने इजरायल, मेक्सिको, कनाडा और रूस के साथ व्यापारिक समझौतो में भी अहम भूमिका निभाई। लिंच के पास फिलहाल 15 देशों के संबंध में यूएस ट्रेड पॉलिसी और इसके लागू किए जाने की जिम्मेदारी है।
इंडिया-यूएस ट्रेड डील पर भारत की तरफ से वाणिज्य मंत्रालय में विशेष सचिव राजेश अग्रवाल बात रखेंगे। अग्रवाल ने अमेरिकी प्रतिनिधियों से बातचीत से पहले मीडिया से कहा कि हम अमेरिका के साथ कई स्तरों पर बातचीत कर रहे हैं। उनके मुख्य वार्ताकार ब्रेंडन लिंच के नेतृत्व में अमेरिकी डेलिगेशन नई दिल्ली पहुंचा है। हम बातचीच करेंगे और देखेंगे कि बातचीत का नतीजा क्या रहता है।
वाणिज्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि बीते कुछ समय से भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील की बातचीत को लेकर अनुकूल माहौल नहीं था। हम वर्चुअल तरीके से बातचीत कर रहे थे। अब अमेरिका से एक टीम ट्रेड डील पर बातचीत के लिए भारत आई है। हम देखेंगे कि किसी भी समझौते पर कैसे पहुंचा जा सकता है।
भारत-अमेरिका ट्रेड डील पर वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने कहा कि कूटनीतिक स्तर पर, व्यापार के स्तर पर, मुख्य वार्ताकारों के स्तर पर और मंत्रियों के स्तर पर चर्चा हुई है। अमेरिकी व्यापार वार्ताकारों का एक दल चर्चा के लिए भारत आया है। व्यापार के मुद्दों को लेकर दोनों देशों में सकारात्मक रुख है।
अमेरिकी टैरिफ के कारण भारतीय निर्यातकों पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। सी-फूड, टेक्सटाइल, चमरा उद्योग और दवा उद्योग अमेरिकी टैरिफ से बुरी तरह प्रभावित हैं। क्योंकि अमेरिकी आयातकों ने अन्य देशों की तुलना में भारत पर भारी टैरिफ के कारण ऑर्डर रद्द करना शुरू कर दिया है। सरकार निर्यातकों के सामने मौजूद नकदी की तात्कालिक चुनौती से निपटने के लिए एक राहत पैकेज पर काम कर रही है।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और तेलुगु देशम पार्टी के नेता चंद्रबाबू नायडू ने कुछ दिन पहले ही सी-फूड सेक्टर को रहे नुकसान को लेकर केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखी थी। एक अनुमान के अनुसार आंध्र प्रदेश के झींगा (प्रॉन्स) निर्यातकों को 25 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। अमेरिका को निर्यात किए जा रहे लगभग 2 हजार कंटेनरों पर लगभग 600 करोड़ रुपए का टैरिफ बोझ पड़ रहा है। आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने केंद्र की मोदी सरकार से मत्यस्य पालकों की मदद करने की अपील की है। नायडू ने कहा कि राज्य के मत्यस्य पालक और किसान गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं।
ट्रेड डील को लेकर अमेरिका की तरफ से मिले-जुले संकेत मिल रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि भारत और अमेरिका व्यापार बाधाओं को दूर करने के लिए बातचीत जारी रख रहे हैं। उम्मीद है कि जल्द ही वार्ता सफल होगी। इसमें कोई कठिनाई नहीं आएगी। इस पर पीएम मोदी ने भी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि दोनों देश "स्वाभाविक साझेदार" हैं और "एक उज्जवल, समृद्ध भविष्य सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करेंगे"।
हालांकि, इसके कुछ ही समय बाद अमेरिका ने G7 देशों और यूरोपीय यूनियन देशों से भारत और चीन पर रूसी तेल खरीदने के कारण 100 फीसदी टैरिफ लगाने की अपील की थी। चीन और भारत रूसी तेल के शीर्ष खरीदार हैं।
भारत ने रूसी तेल खरीद पर कहा कि वह अपनी रणनीतिक स्वायतत्ता बरकरार रखेगा। रूस में मौजूद भारतीय राजदूत ने भी कहा कि भारत को जहां सस्ता तेल मिलेगा। वहां से तेल खरीदेंगे। इसी के साथ ही, भारत ने कृषि सेक्टर में अमेरिकी प्रोडक्ट्स के लिए दरवाजे बंद कर रखे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण में कहा था कि भारत भारतीय किसानों, मछुआरों और पशुपालकों की भलाई से कोई समझौता नहीं करेगा। प्रधानमंत्री ने अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण में कहा कि भारतीय किसानों, मछुआरों और पशुपालकों की भलाई हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। मोदी किसी भी प्रतिकूल नीति के खिलाफ दीवार की तरह खड़ा है।
दरअसल, अमेरिका अपने आनुवंशिक रूप से संशोधित उत्पादों के लिए भारतीय बाजार खोलने की मांग कर रहा है। अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने कहा कि भारत खुद को 140 करोड़ लोगों का देश बताता है, लेकिन वह हमसे एक बोरी मक्का नहीं खरीदता है।
इससे पहले लुटनिक ने कहा कि 50 फीसदी अमेरिकी टैरिफ से बचने के लिए भारत को तीन शर्तें माननी होंगी। उन्होंने कहा कि भारत को या तो अमेरिका के साथ गठबंधन करना होगा या फिर ब्रिक्स के जरिए रूस और चीन के साथ रिश्ते मजबूत करने का रास्ता चुनना होगा। भारत को रूसी तेल खरीदना बंद करना होगा। भारत यदि रूस और चीन के बीच पुल बनना चाहता है तो बने, लेकिन अमेरिकी डॉलर और अमेरिका का समर्थन करना होगा। उन्होंने कहा कि भारत ने यूक्रेन-रूस युद्ध की शुरुआत होने के बाद रूसी तेल आयात को 2 फीसदी से बढ़ाकर 40 फीसदी कर दिया। उन्होंने वैश्विक प्रतिबंध का फायदा उठाते हुए सस्ते में रूसी तेल खरीदा।
Published on:
16 Sept 2025 12:14 pm
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