
(राजस्थान पत्रिका फोटो)
Anti-conversion Bill in Rajasthan: राजस्थान की राजनीति में एक बार फिर हलचल मचने वाली है। आगामी विधानसभा के मानसून सत्र 1 सितंबर 2025 से शुरू होने जा रहा है। इसमें धर्मांतरण विरोधी विधेयक (एंटी-कन्वर्जन बिल) चर्चा का केंद्र बन सकता है। यह विधेयक, जिसे पिछले बजट सत्र में पेश किया गया था, लेकिन तब बहस नहीं हो पाई थी, अब सत्ताधारी सरकार की प्राथमिकता सूची में शीर्ष पर है।
यदि यह बिल पास हो जाता है तो यह राजस्थान में सामाजिक और राजनीतिक लिहाज से यह एक ऐतिहासिक कदम होगा। इस बिल का मुख्य उद्देश्य जबरन, धोखाधड़ी या दबाव के जरिए होने वाले धर्म परिवर्तन को रोकना है, जिसे अक्सर 'लव जिहाद' के मामलों से जोड़कर देखा जाता है। इस विधेयक के प्रावधानों और इसकी संभावित सजा को लेकर व्यापक चर्चा शुरू हो चुकी है।
सूत्रों के मुताबिक इस मुद्दे को लेकर सरकार का मानना है कि यह विधेयक समाज में बढ़ते जबरन धर्म परिवर्तन के मामलों पर लगाम लगाने के लिए जरूरी है। विशेष रूप से 'लव जिहाद' जैसे मामलों, जहां प्रलोभन, धोखाधड़ी या जबरदस्ती के जरिए धर्म परिवर्तन कराया जाता है। इनको रोकने के लिए इस बिल में सख्त प्रावधान किए गए हैं।
इस विधेयक के तहत, यदि कोई व्यक्ति बलपूर्वक, गलत बयानी, अनुचित प्रभाव, प्रलोभन या कपटपूर्ण तरीके से किसी का धर्म परिवर्तन कराता है, तो उसे गंभीर अपराधी माना जाएगा। खास तौर पर नाबालिगों, महिलाओं, अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लोगों को लक्षित करने वाले धर्म परिवर्तन के मामलों में कठोर सजा का प्रावधान है।
दावा है कि यह बिल उन संगठित गिरोहों पर नकेल कसेगा, जो धोखाधड़ी या प्रलोभन के जरिए लोगों का धर्म परिवर्तन कराते हैं।
इस विधेयक में धर्मांतरण को गैर-जमानती अपराध की श्रेणी में रखा गया है, जिससे आरोपी को आसानी से जमानत नहीं मिल सकेगी। बिल के प्रमुख प्रावधान इस प्रकार हैं-
सामान्य धर्मांतरण के मामले: यदि कोई व्यक्ति जबरन या धोखे से धर्म परिवर्तन कराता है, तो उसे कम से कम 1 साल की सजा, जो अधिकतम 5 साल तक हो सकती है, और 15,000 रुपये तक का जुर्माना देना होगा।
नाबालिग, महिला, SC/ST के मामले: यदि पीड़ित नाबालिग, महिला या अनुसूचित जाति/जनजाति से है, तो सजा की अवधि कम से कम 2 साल होगी, जो 10 साल तक बढ़ाई जा सकती है। साथ ही, 25,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
संगठित धर्मांतरण: यदि कोई संगठन या समूह बड़े पैमाने पर धर्म परिवर्तन की गतिविधियों में शामिल पाया जाता है, तो दोषी को 10 साल तक की सजा और 50,000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
इन सख्त प्रावधानों के साथ सरकार का लक्ष्य धर्मांतरण के मामलों में कठोर कार्रवाई करना और समाज में सामंजस्य बनाए रखना है।
इस विधेयक के पेश होने के साथ ही राजस्थान में राजनीतिक और सामाजिक बहस तेज होने की संभावना है। सत्ताधारी भाजपा इसे समाज की सुरक्षा और सामाजिक एकता के लिए जरूरी कदम बता रही है। दूसरी ओर, विपक्षी दल और कुछ सामाजिक संगठन इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर हमला करार दे सकते हैं।
अंदरखाने विपक्ष के लोगों का तर्क है कि इस तरह के कानून का दुरुपयोग हो सकता है, जिससे अल्पसंख्यक समुदायों को निशाना बनाया जा सकता है। साथ ही, यह बिल संविधान में दिए गए धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार पर भी सवाल उठा सकता है।
बताया जा रहा है कि विपक्ष इस सत्र में सरकार को कई मुद्दों पर घेरने की तैयारी में है। हाल ही में झालावाड़ में एक स्कूल की इमारत ढहने से सात बच्चों की दुखद मौत ने सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। विपक्ष ने इस मामले में शिक्षा मंत्री मदन दिलावर का इस्तीफा मांगा है और इसे मानसून सत्र में प्रमुखता से उठाने की योजना बनाई है।
इसके अलावा, स्कूलों की मरम्मत का मुद्दा भी गर्माएगा। शिक्षा विभाग ने 8,000 स्कूलों की मरम्मत के लिए प्रस्ताव दिया था, लेकिन बजट की कमी के कारण केवल 2,000 स्कूलों को ही मंजूरी मिली। पिछले साल 80 करोड़ रुपये मंजूर किए गए थे, लेकिन इस साल 175 करोड़ रुपये का प्रस्ताव अभी तक लंबित है। विपक्ष इस मुद्दे को लेकर सरकार पर हमलावर रहेगा और शिक्षा के बुनियादी ढांचे में सुधार की मांग करेगा।
जानकारी के मुताबकि धर्मांतरण विरोधी विधेयक के अलावा, इस मानसून सत्र में कई अन्य महत्वपूर्ण मुद्दे भी चर्चा में रहेंगे। विधानसभा में चार लंबित बिलों पर विचार किया जाएगा, जिनमें कोचिंग सेंटर विनियमन बिल, भूमि राजस्व (संशोधन) बिल और भूजल प्राधिकरण बिल शामिल हैं। कोचिंग सेंटर विनियमन बिल को लेकर राजस्थान हाई कोर्ट ने सरकार को पहले ही फटकार लगाई थी, क्योंकि इसकी प्रगति में देरी हो रही थी।
विपक्ष के निशाने पर कानून-व्यवस्था, आपदा प्रबंधन, परिवहन व्यवस्था और शिक्षा-स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी जैसे मुद्दे भी होंगे। हाल की प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में सरकार की कथित नाकामी और परिवहन व्यवस्था की खराब स्थिति को लेकर भी सवाल उठाए जाएंगे। इन सभी मुद्दों के कारण मानसून सत्र हंगामेदार होने की पूरी संभावना है।
Published on:
13 Aug 2025 06:59 pm
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