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Chicken Yoga: चल पड़ा है डायपर पहनीं मुर्गियों के बीच योग क्लास का नया ट्रेंड

Chicken Yoga: फ्लोरिडा के टैम्पा में हर महीने डायपर पहनी रैस्क्यू मुर्गियों के साथ योगा क्लास होती है – लोग योगा भूलकर हंसते और फोटो खींचते हैं। ये क्लास बचाई गई मुर्गियों के लिए डोनेशन जुटाती है।

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Chicken Yoga

फ्लोरिडा के टैम्पा में डायपर पहनी रैस्क्यू मुर्गियों के साथ योगा। (फोटो: वॉशिंगटन पोस्ट, डिजाइन: पत्रिका)

Chicken Yoga: क्या आपने कभी चिकन योगा के बारे में सुना है। अमेरिका के टैम्पा फ्लोरिडा में योगा मैट पर डाउनवर्ड डॉग कर रहे हैं और अचानक एक मुर्गी डायपर में (Chicken Yoga Tampa) आपके पेट पर चढ़ कर सो जाती है! सुनने में यह मजाक लगता है, लेकिन फ्लोरिडा (Florida Chicken Yoga) के टैम्पा शहर में हर महीने ऐसा ही होता है। होटल हाया में चलने वाली “चिकन योगा (Diaper Chickens Yoga)” क्लास अब पूरी दुनिया में वायरल हो रही है। इसमें 5-10 बचाई गई मुर्गियां आती हैं – सभी नहलाई हुई, डायपर पहनी हुई, और कुछ तो त्योहारों के हिसाब से खास डिजाइन वाले डायपर में होती हैं! कोलीन मैकहेनरी क्लास चलाती हैं, जो योगा लॉफ्ट टैम्पा की ओनर हैं। वो बताती हैं, “कभी-कभी इतना मजा आता है कि लोग योगा करना ही भूल जाते हैं – मैं भी!” एक बार मुर्गी “टर्की” ने पर्दे के पीछे जाकर डायपर में ही अंडा दे दिया। पूरी क्लास हंस पड़ी, फिर 5 मिनट बाद क्लास दोबारा शुरू हुई।

ये मुर्गियां कहां से आईं ?

ये कोई पालतू मुर्गियां नहीं हैं। ये यबोर सिटी की जंगली मुर्गियों की पीढ़ियां हैं। सन 1880 के दशक में की वेस्ट से सिगार बनाने वाले मजदूर टैम्पा आए थे और अपने साथ मुर्गियां लाए थे – खाने और कॉकफाइटिंग के लिए। आज उनकी संख्या हजारों में है और ये सड़कों पर खुले घूमती हैं। लोग इन्हें बहुत प्यार करते हैं। यबोर चिकन्स सोसाइटी इनकी रक्षा करती है। यबोर मिसफिट्स माइक्रोसैंक्चुअरी उन्हें बचाता है।

यबोर मिसफिट्स माइक्रोसैंक्चुअरी उन्हें बचाता है

जब कोई मुर्गी घायल या बीमार हो जाती है, तो यबोर मिसफिट्स माइक्रोसैंक्चुअरी उन्हें बचाता है। संस्था के फाउंडर डायलन ब्रीस ने 2016 में पहली मुर्गी “कॉफी बीन” बचाई थी। आज उनके पास 1000 से ज्यादा मुर्गियां हैं। 2021 से वो हर महीने 5-10 मुर्गियों को होटल हाया लेकर आते हैं। बदले में लोग डोनेशन देते हैं।

डायपर कैसे और क्यों ?

क्लास से पहले डायलन हर मुर्गी को डॉन साबुन से नहलाते हैं। फिर उनके पंखों से मैच करता डायपर पहनाते हैं। हेलोवीन पर खोपड़ी वाला, क्रिसमस पर स्नोफ्लेक और घंटियां वाला डायपर! “मैंने सोचा था ये स्टार बनेंगी,” डायलन हंसते हुए कहते हैं, “और उन्होंने साबित कर दिया।” कुछ मुर्गियां तो लोगों के पेट पर लेट कर खर्राटे लेने लगती हैं। मार्शमेलो (बड़ी सफेद), डॉटी (अंधी लेकिन प्यारी), रेवेन (बार के बाहर छोड़ी गई थी) सबसे पॉपुलर हैं।

आखिर यहां लोग क्यों आते हैं ?

पेरिस पोर्टर को पहले लगा कि जंगली जानवरों को परेशान करना ठीक नहीं है। लेकिन क्लास करके मजा आ गया। “मैंने कई बार बैलेंस खो दिया। क्योंकि आंख के कोने से मुर्गी दिखती थी,” वो हंसती हैं। अमांडा बोली अपनी 6 साल की बेटी को लेकर गई थीं (अब बच्चे नहीं आ सकते थे, क्योंकि कुछ बच्चे मुर्गियों को दौड़ाते थे)। “मैं योगा से ज्यादा मुर्गियों को देखती रही, लेकिन मुझे कोई शिकायत नहीं!” सभी मानते हैं कि ये क्लास ध्यान करने वालों के लिए नहीं है। तेजल पटेल नाम की योगा टीचर कहती हैं, “प्लैंक में मुर्गी मेरे नीचे से निकले तो मैं तनाव में आ जाऊंगी!”

आखिर मैसेज क्या है ?

कोलीन कहती हैं, “योगा को बहुत सीरियस बना दिया गया है। लेकिन ये मुर्गियां हमें याद दिलाती हैं – जिंदगी में हंसी-मजाक भी जरूरी है।” और सबसे बड़ा मैसेज – “ये हमारी सिटी का हिस्सा हैं, हम इनकी रक्षा कर रहे हैं।” हाल यह है कि अब हर महीने वेटिंग लिस्ट लग जाती है। दूसरे शहरों में भी चिकन योगा शुरू हो रहा है, लेकिन टैम्पा वाला अनुभव अलग है – क्योंकि यहां मुर्गियां सड़क पर भी घूमती हैं, और डायपर में योगा करती हैं!

(वॉशिंग्टन पोस्ट का यह आलेख पत्रिका.कॉम पर दोनों समूहों के बीच विशेष अनुबंध के तहत पोस्ट किया गया है।)