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किताबों से खेतों तक… शिक्षित महिला की मेहनत ने रचा ग्रामीण विकास का मॉडल, जानें 10 से 150 एकड़ तक का सफर

Educated Women Farmer: 10 एकड़ से शुरू हुआ सफर आज 150 एकड़ की उन्नत खेती, महिला रोजगार और करोड़ों के कारोबार तक पहुंच चुका है। यह कहानी महिला सशक्तिकरण और आत्मनिर्भर भारत की मिसाल है।

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खेती में महिला सशक्तिकरण की मिसाल (photo source- Patrika)

खेती में महिला सशक्तिकरण की मिसाल (photo source- Patrika)

जब हालात सबसे मुश्किल थे और COVID-19 महामारी ने लोगों के सपनों पर ताला लगा दिया था, तब दुर्ग ज़िले की पढ़ी-लिखी महिला सोनल दानी ने एक नया रास्ता चुना। हायर एजुकेशन और MSc या PhD जैसे सुरक्षित करियर को छोड़कर, उन्होंने न सिर्फ़ खेती को अपनाया।

बल्कि इसे आत्मनिर्भरता, महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण रोज़गार का एक मज़बूत ज़रिया भी बनाया। यह सफ़र, जो सिर्फ़ 10 एकड़ से शुरू हुआ था, अब 150 एकड़ में एडवांस खेती और करोड़ों के बिज़नेस तक बढ़ गया है। यह साबित करता है कि हिम्मत, कड़ी मेहनत और सही सोच से मुश्किल हालात भी कामयाबी की ओर ले जा सकते हैं।

शिक्षित महिला की खेती से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई ताकत

कोविड महामारी ने जहां लाखों लोगों रोजगार छीन लिया, वहीं दुर्ग जिले की एमएससी-पीएचडी धारक सोनल दानी (46 वर्ष) ने इस संकट को अवसर में बदल दिया। वर्ष 2020 में उच्च शिक्षा और नौकरी छोडक़र उन्होंने मात्र 10 एकड़ से खेती की शुरुआत की, जो आज बढक़र उनकी अपनी 150 एकड़ जमीन तक पहुंच चुकी है। उनकी यह यात्रा न सिर्फ व्यक्तिगत सफलता की कहानी है, बल्कि ग्रामीण महिलाओं के लिए आत्मनिर्भरता और रोजगार का प्रभावी मॉडल भी है।

परिवार और सरकार का रहा सहयोग

इस पूरे सफर में परिवार का सहयोग मजबूत आधार रहा। पति डॉ. गौरव दानी ने शुरुआती निवेश किया और हर कदम पर साथ दिया। सास-ससुर और दोनों बेटियों ने भी घर और खेत की जिम्मेदारियों में सहयोग किया। राज्य सरकार की सब्सिडी योजनाओं के तहत उन्हें ड्रिप, स्प्रिंकलर और ट्रैक्टर जैसी सुविधाओं का लाभ मिला। पूर्व कृषि मंत्री की ओर उन्हें कृषि सम्मान समारोह में सम्मानित भी किया जा चुका है।

गांव में ही मिला महिलाओं को काम

इस सफलता का सबसे बड़ा असर स्थानीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर पड़ा है। सोनल के खेतों में 70-80 मजदूर काम कर रहे हैं, जिनमें 60-70 महिलाएं शामिल हैं। पहले ये महिलाएं काम के लिए दूसरे गांव जाती थीं, अब अपने ही गांव में रोजगार मिलने से वे समय पर घर लौट पा रही हैं।

हाईटेक खेती से बेहतर उत्पादन

सोनल दानी हाईटेक सब्जी उत्पादन के साथ-साथ परंपरागत धान और गेहूं की खेती भी कर रही हैं। ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली के माध्यम से पानी की बचत करते हुए वे बेहतर उत्पादन हासिल कर रही हैं। धान में 22-24 क्विंटल और गेहूं में 14-15 क्विंटल प्रति एकड़ तक उपज मिल रही है। उनके खेतों में उत्पादित सब्जियां ओडिशा, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और दिल्ली सहित कई राज्यों में सीधे थोक व्यापारियों को भेजी जाती हैं। इससे उनका सालाना कारोबार 1.25 से 1.50 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है।

युवाओं के लिए बनीं प्रेरणा

सोनल दानी का मानना है कि शिक्षित महिलाओं का खेती में आना समाज में नई पहचान बनाता है और दूसरों के लिए प्रेरणा बनता है। वे युवाओं को खेती के महत्व से अवगत कराती हैं और जिनके पास जमीन होते हुए भी वे उसे किराए पर दे देते हैं, उन्हें खुद खेती शुरू करने के लिए मार्गदर्शन देती हैं। उनके अनुसार आने वाला समय खेती का है, जो न केवल आर्थिक मजबूती देता है, बल्कि स्वस्थ और संतुलित जीवन का रास्ता भी दिखाता है।