
पंद्रहवीं शताब्दी में इंग्लैंड के दो प्रतिद्वंद्वी घरानों में गृहयुद्ध हुआ। (फोटो: X Handle the Wars of the Roses.)
War of the Roses England: ‘गुलाबों की लड़ाई’ एक लंबे समय तक चला गृहयुद्ध (Civil war) था, जो इंग्लैंड में हुआ था। इस युद्ध में दो प्रमुख शाही घरानों-लैंकेस्टर और यॉर्क-के बीच सत्ता के लिए संघर्ष हुआ। यह लड़ाई लगभग 32 वर्षों तक चली और ब्रिटिश इतिहास (War of the Roses England) की सबसे खतरनाक सियासी लड़ाइयों में गिनी जाती है। ध्यान रहे कि इस गृहयुद्ध को 'गुलाबों की लड़ाई' (War of the Roses) इसलिए कहा गया, क्योंकि लैंकेस्टर घराने का प्रतीक लाल गुलाब था, जबकि यॉर्क घराने का प्रतीक सफेद गुलाब। दोनों राजवंशों के झंडे पर इन गुलाबों का इस्तेमाल होता था, जो बाद में इस खूनी युद्ध की पहचान बन गया।
यह संघर्ष 1455 में शुरू हुआ जब राजा की कमजोर सत्ता और राजवंशीय उत्तराधिकार को लेकर विवाद गहराने लगे। लैंकेस्टर हाउस और यॉर्क हाउस दोनों ही इंग्लैंड के सिंहासन पर अपना दावा कर रहे थे। इसके चलते छोटे-छोटे युद्धों की श्रृंखला शुरू हुई, जिसमें हजारों लोग मारे गए और पूरे देश में अस्थिरता फैल गई।
लैंकेस्टर और यॉर्क दोनों ही ब्रिटिश शाही परिवार के सदस्य थे और दोनों ही इंग्लैंड के सिंहासन पर अपना हक जताते थे। इनका मानना था कि उनका वंशानुगत अधिकार राजा बनने का है। इससे दोनों घरानों के बीच गहराता तनाव धीरे-धीरे जंग में बदल गया।
इस संघर्ष के समय इंग्लैंड के राजा हेनरी VI (लैंकेस्टर वंश) थे, लेकिन वे बहुत कमजोर और मानसिक रूप से अस्वस्थ थे। इसका फायदा उठाते हुए यॉर्क घराना सत्ता को अपने हाथ में लेना चाहता था। सत्ता की इस खींचतान ने हालात को और बिगाड़ दिया।
दोनों घराने किंग एडवर्ड III के वंशज थे, लेकिन यह विवाद था कि उनके किस बेटे की लाइन को सत्ता का अधिकार मिले। यह उत्तराधिकार का झगड़ा इतना गंभीर था कि इसे राजनीतिक और सैन्य संघर्ष में तब्दील होने में देर नहीं लगी।
राजनीतिक अस्थिरता, टैक्सों का बोझ और लगातार युद्धों ने जनता की नाराज़गी को बढ़ा दिया था। जनता भी विभाजित हो गई थी- कुछ लैंकेस्टर के पक्ष में थे, तो कुछ यॉर्क के। इससे यह झगड़ा सिर्फ राजवंशीय न रह कर एक राष्ट्रीय संकट बन गया।
दोनों पक्षों के प्रमुखों के पास सेना, जमीन और संसाधन थे। उनके दरबारियों, राजाओं और सेनापतियों की महत्वाकांक्षाएं भी बहुत बड़ी थीं। एक बार जंग शुरू हो गई, तो इसमें बदले की भावना, सत्ता की भूख और राजनीतिक चालबाज़ियां शामिल होती चली गईं।
इस लंबे संघर्ष का अंत 22 अगस्त 1485 को बोसवर्थ की लड़ाई में हुआ। इस ऐतिहासिक युद्ध में लैंकेस्टर हाउस से जुड़े हैनरी ट्यूडर ने यॉर्क पक्ष के राजा रिचर्ड तृतीय को हरा दिया। हैनरी की जीत के बाद वह हैनरी सप्तम (Henry VII) के नाम से इंग्लैंड के राजा बने और ट्यूडर वंश की शुरुआत हुई। उन्होंने यॉर्क की राजकुमारी से विवाह कर दोनों घरानों को एकजुट किया और देश में स्थिरता लौटाई।
हर साल 22 अगस्त को 'गुलाबों की लड़ाई' के अंत की वर्षगांठ मनाई जाती है। यह दिन ब्रिटिश इतिहास में सत्ता संघर्ष की समाप्ति और एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है।
यह युद्ध केवल सत्ता के लिए नहीं था, बल्कि इसने इंग्लैंड के सामाजिक, राजनीतिक और सैन्य ढांचे को पूरी तरह बदल कर रख दिया। ट्यूडर राजवंश के आने से ब्रिटिश साम्राज्य की नींव मजबूत हुई और आगे चलकर इंग्लैंड ने यूरोप की बड़ी ताकतों में अपनी जगह बनाई।
बहरहाल ‘गुलाबों की लड़ाई’ एक ऐसा ऐतिहासिक दौर था, जिसने इंग्लैंड की राजनीति, संस्कृति और राजतंत्र को गहराई से प्रभावित किया। करीब 32 साल तक चले इस युद्ध की समाप्ति के साथ सत्ता का संतुलन बहाल हुआ और ब्रिटेन को एक नई पहचान मिली।
Published on:
22 Aug 2025 06:00 am
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