20 जुलाई 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
मेरी खबर

मेरी खबर

शॉर्ट्स

शॉर्ट्स

ई-पेपर

ई-पेपर

पर्यावरण दिवस पर विशेष: ट्री-मैन बंटी की हरियाली की जंग, 8 साल की उम्र से पौधरोपण… देखें फोटो गैलेरी ….

अब तक लगाए एक लाख से अधिक पौधे, अन्य लोगों को भी कर रहे प्रेरित खैरथल . जहां आज पर्यावरण दिवस केवल औपचारिकता बनकर रह गया है, वहीं समीपवर्ती मुंडावर के पेहल निवासी सुरेंद्र सैन उर्फ बंटी सैन के लिए यह दिन जीवन का मिशन बन चुका है। 8 साल की छोटी उम्र में लगाया पहला पौधा आज एक हरे-भरे आंदोलन में बदल चुका है। पिछले 45 वर्षों में एक लाख से अधिक पौधों का रोपण कर वह बन गए हैं हरियाली के सच्चे सिपाही। बचपन से संजोया हरियाली का सपना,अब बन गया आंदोलन : बंटी सैन की हरियाली की कहानी किसी प्रेरणादायक फिल्म से कम नहीं है। जैसे बिहार के माउंटेन मैन’’ दशरथ मांझी ने पहाड़ काटकर रास्ता बनाया, वैसे ही बंटी सैन ने अपने जुनून और समर्पण से प्रकृति का रास्ता सजाया है। वे पौधा लगाकर छोड़ते नहीं, बल्कि उसे पेड़ बनने तक साथ निभाते हैं। यही कारण है कि 70-80 हजार से अधिक पौधे आज भी जीवित हैं। गुरु घीसादास से मिली प्रेरणा, हर कोना बना नर्सरी : गांव पेहल के रहने वाले बंटी सैन बताते हैं कि गुरु घीसादास की शिक्षा ने उन्हें प्रकृति से प्रेम करना सिखाया। अपने घर को उन्होंने हरियाली का मंदिर बना दिया है। छत, आंगन, कमरे, गैलरी तक पौधों से भरे रहते हैं। खाली समय मिलते ही वे खुद कुदाल, पानी की बाल्टी और पौधे लेकर निकल पड़ते हैं। सैकड़ों सार्वजनिक स्थलों को बनाया हरा-भरा : पुलिस थानों से लेकर श्मशान घाट, स्कूलों, अस्पतालों, और मंदिर परिसरों तक, सुरेंद्र सैन ने सैकड़ों स्थानों पर पौधे लगाकर उन्हें जीवनदान दिया है। वे अपने खर्चे पर पौधे तैयार करते हैं और रोपण करते हैं। उनका मानना है जितनी हरियाली, उतनी स्वच्छता और स्वस्थ जीवन। पर्यावरण के लिए जन-जागरण योद्धा पौधे लगाने के साथ-साथ सुरेंद्र सैन लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक भी करते हैं। सरकारी सेमिनारों, स्कूल कार्यक्रमों से लेकर घर-घर जाकर, वे जल, जंगल और जमीन की अहमियत बताते हैं। खास तौर पर युवाओं को जोड़ते हैं वृक्षारोपण अभियानों से, ताकि आने वाली पीढ़ी जिम्मेदारी समझे। दिन की शुरुआत चाय से नहीं, पौधों से करते हैं : उनकी दिनचर्या दूसरों से बिल्कुल अलग है। वे कहते हैं लोग जहां दिन की शुरुआत चाय से करते हैं, मैं पौधों को पानी देने और रोपने से करता हूं। यह आदत नहीं, उनकी जीवनशैली बन चुकी है। मोबाइल से दूरी, हरियाली से नकादीकी : जहां आज की पीढ़ी मोबाइल में उलझी है, सुरेंद्र सैन मोबाइल नहीं रखते और सोशल मीडिया से दूर रहते हुए अपनी ऊर्जा सिर्फ पौधों को समर्पित करते हैं।

अलवर

kailash Sharma

Jun 05, 2025

ट्री-मैन सुरेंद्र (बंटी)

खैरथल. सुरेंद्र की ओर से लगाए पौधे आज पेड़ बन गए हैं, वहीं स्वयं ने उनकी सुरक्षा के लिए पत्थरों से ट्री गार्ड का निर्माण किया जिसके चलते पशुओं ने उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाया आज ये पड़े लोगों को सुकून दे रहे हैं।

पर्यावरण दिवस पर पौधरोपण करते हुए।

एसडीएम मुंडावर के साथ पौधरोपण करते हुए।

नीमराणा. हरियाली से आच्छादित नीमराणा का मुक्तिधाम।