
अक्सर लोगों को यह सवाल चिंतित करता रहता है कि घर के मंदिर में देवी-देवताओं का ज्यादा मूर्तियां रखना सही है या नहीं। इस पर वृंदावन वाले प्रेमानंद महाराज ने स्पष्ट जवाब दिया है।

प्रेमानंद महाराज ने बताया, "घर का पूजन स्थल और मंदिर इन दोनों चीजों में अंतर समझना जरूरी है। मंदिर शब्द पूजन स्थल से ज्यादा व्यापक है।"

उन्होंने आगे कहा, "यदि बात घर के पूजन स्थल की है तो वहां किसी एक देवी-देवता को स्थापित कर सकते हैं। आप कृष्ण, शिव, राम या अन्य किसी को स्थापित कर सकते हैं, लेकिन जब बात मंदिर यानी एक व्यापक स्तर की हो रही है तो वहां मुख्य देवी-देवता के अलावा पंच परमेश्वर स्थापित करने भी जरूरी हो जाते हैं।"

प्रेमानंद महाराज ने बताया, "मान लीजिए आप भोलेनाथ के भक्त हैं और उनका मंदिर बनवा रहे हैं तो उनकी प्रतिमा या शिवलिंग के अलावा पंच देव भी स्थापित करने होंगे। "

उन्होंने आगे कहा, "आप अकेले भगवान शंकर को विराजमान नहीं कर सकते. उनके साथ मां अम्बा, भगवान गणेश, कार्तिकेय, नंदीकेश्वर आदि की स्थापना करनी ही पड़ेगी।"

उन्होंने आगे कहा, "मान लीजिए हमारी प्रीत कृष्ण से हैं, लेकिन जब हम मंदिर बनाएंगे तो उसमें राधा कृष्ण स्थापित होंगे। इसी प्रकार राम के संग सीता, लक्ष्मी, हनुमान आदि स्थापित होंगे।"