Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

 फागोत्सव की धूम, उड़ी गुलाल, फूलों-केसर व ईत्र में भीगे नगरसेठ बंशीवाला

3 min read
Google source verification
Nagarseth Banshiwala drenched in the pomp of Phagotsav, gulal, flowers, saffron and perfume

फागोत्सव की धूम, उड़ी गुलाल, फूलों-केसर व ईत्र में भीगे नगरसेठ बंशीवाला

Nagarseth Banshiwala drenched in the pomp of Phagotsav, gulal, flowers, saffron and perfume

होली की बहार : गर्भगृह से बाहर निकले बंशीवाला, फागोत्सव की धूमफागोत्सव में उड़ी गुलाल, फूलों- केसर व ईत्र में भीगे नगरसेठ बंशीवाला

Nagarseth Banshiwala drenched in the pomp of Phagotsav, gulal, flowers, saffron and perfume

नागौर. शहर के बंशीवाला मंदिर में सोमवार को फागोत्सव में होली के रंगों की खुशबू से पूरा परिसर सराबोर नजर आया। राधा-कृष्ण की झांकी

Nagarseth Banshiwala drenched in the pomp of Phagotsav, gulal, flowers, saffron and perfume

मंदिर में फागोत्सव में भजन और नृत्य से पूरा माहौल अलग ही दिखा। फागोत्सव में महिलाओं पर गुलाल की बारिश करते हुए पुजारी।

Nagarseth Banshiwala drenched in the pomp of Phagotsav, gulal, flowers, saffron and perfume

नगरसेठ बंशीवाला सोमवार को होली खेलने गर्भगृह से बाहर निकले। गर्भगृह से बाहर निकलते ही महिलाओं ने उनको गुलाल एवं फूलों से नहला दिया।

Nagarseth Banshiwala drenched in the pomp of Phagotsav, gulal, flowers, saffron and perfume

होली के रंग में रंगे बंशीवाला, राधा संग होली खेली बंशीवाला सरीखे भजनों के स्वर चंग की तान और ढोलक की थाप के साथ गूंजी तो फिर पूरा मंदिर परिसर का माहौल होली के रंग रंगा रहा।

Nagarseth Banshiwala drenched in the pomp of Phagotsav, gulal, flowers, saffron and perfume

श्रद्धालु बंशीवाला के साथ होली खेलने के लिए आतुर नजर आए। मंदिर के मुख्य गेट से लेकर गर्भगृह तक तिल तक रखने की जगह नहीं रही।

Nagarseth Banshiwala drenched in the pomp of Phagotsav, gulal, flowers, saffron and perfume

मौका था मंदिर में महिलाओं के फागोत्सव का। इसमें केवल महिलाएं ही शामिल हुई।

Nagarseth Banshiwala drenched in the pomp of Phagotsav, gulal, flowers, saffron and perfume

बंशीवाला मंदिर में दोपहर दो बजे से महिलाओं का फागोत्सव शुरू हुआ। मंदिर के पुजारी नगरसेठ बंशीवाला की अनुमति लेने के बाद उनकी प्रतिमा को गर्भगृह से बाहर लेकर निकले।

Nagarseth Banshiwala drenched in the pomp of Phagotsav, gulal, flowers, saffron and perfume

बाहर ही प्रतिमा को विराजित किया गया। इस दौरान महिलाओं ने पहले बंशीवाला का पूजन किया, फिर अपने संग होली खेलने की प्रार्थना की। महिलाओं ने बंशीवाला को गुलाल के रंग में रंगना शुरू किया तो भगवान की पूरी प्रतिमा रंगों के रंग में बदली नजर आई।

Nagarseth Banshiwala drenched in the pomp of Phagotsav, gulal, flowers, saffron and perfume

बंशीवाला से होली खेलने के लिए महिलाओं में होड़ लगी रही। महिलाओं ने बंशीवाला की वंदना करने के साथ ही भजनों की प्रस्तुतियां शुरू की। इस दौरान रंग मत डालो रे सांवरिया, आजा सांवरिया, कानुडो रंग डार गयो, फागण आयो रे सांवरिया थारी याद सतावे रे, सदा आनंद रहे यही द्वारे मोहन खेले होली, बरसे रंग गुलाल श्याम तेरी होली में रंग डार गयो री मोपे सांवरा, होली खेल रहे नन्दलाल, आज बृज में होली रे रसिया सरीखे गीतों की प्रस्तुतियों से माहौल होली में बदला नजर आया।

Nagarseth Banshiwala drenched in the pomp of Phagotsav, gulal, flowers, saffron and perfume

गुलाल एवं फूलों की हुई बारिश में बंशीवाला मंदिर परिसर में महिलाओं ने जमकर नृत्य किया। इस दौरान राधा-कृष्ण की सजी झांकी भी आकर्षण का केन्द्र बनी रही। राधा-कृष्ण की बनी झांकी में भूमिका निभा रही राधा व भगवान कृष्ण संग भी श्रद्धालुओं ने होली खेली। बंशीवाला संग होली खेलने के लिए गुलाल विशेष तौर पर मंगाया गया था। यह पूरी तरह से प्राकृतिक और केमिकल रहित था। इसी तरह गुलाब के लगभग डेढ़ सौ किलो से ज्यादा पुष्प मंगाए गए थे। चार घंटे तक चले फागोत्सव में हर कोई गुलाल के रंग से रंगा दिखा।