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शहर के बंशीवाला मंदिर में मनाया वराह अवतार उत्सव : वराह लीला देखने उमड़े श्रद्धालु

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Varaha Avatar Utsav celebrated in Banshiwala temple of the city: Devotees gathered to see Varaha Leela

शहर के बंशीवाला मंदिर में मनाया वराह अवतार उत्सव : वराह लीला देखने उमड़े श्रद्धालु

Varaha Avatar Utsav celebrated in Banshiwala temple of the city: Devotees gathered to see Varaha Leela

वराह भगवान ने किया हिरण्याक्ष का वध, सागर से निकालकर लाए पृथ्वी

Varaha Avatar Utsav celebrated in Banshiwala temple of the city: Devotees gathered to see Varaha Leela

बंशीवाला मंदिर में वराह लीला से पूर्व बच्चों को डराते मलूके तथा पृथ्वी के रूप में बैठी बालिका को डराता मलूका।

Varaha Avatar Utsav celebrated in Banshiwala temple of the city: Devotees gathered to see Varaha Leela

भगवान बंशीवाला का सोमवार को वराह रूप में मुखौटा लगाकर शृंगार किया गया। दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी।

Varaha Avatar Utsav celebrated in Banshiwala temple of the city: Devotees gathered to see Varaha Leela

बताया जाता हैं कि वराह अवतार के लिए बने मुखौटे का वजन पांच से सात किलो के करीब है। इसे मिट्टी-कुट्टी के तरीके से बनाया गया है। लीला के दौरान मुखौटे को सिर पर व्यवस्थित करने के लिए दस मीटर के दो साफों का प्रयोग करने के साथ ही रूई की तीन चार गद्दियों का प्रयोग किया जाता है, ताकि यह पूरी तरह से व्यवस्थित रहे।

Varaha Avatar Utsav celebrated in Banshiwala temple of the city: Devotees gathered to see Varaha Leela

नागौर. भगवान विष्णु के तीसर अवतार का उत्सव सोमवार को हर्षोल्लास से मनाया गया। नगसेठ बंशीवाला मंदिर में वराह अवतार की लीला हुई। लीला मंचन के दौरान भगवान विष्णु वराह स्वरूप धारण करके सागर में पहुंचे और हिरण्याक्ष का वध कर पृथ्वी को अपने दंत के सहारे वापस बाहर लेकर आए। इन पौराणिक प्रसंगों को वराह लीला में प्रतीकात्मक तौर पर दर्शाया गया तो श्रद्धालु करतल ध्वनि के साथ जयकारे लगाने लगे। मंदिर परिसर में चारों ओर भगवान वराह के जयघोष गूंजते रहे। मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी।

Varaha Avatar Utsav celebrated in Banshiwala temple of the city: Devotees gathered to see Varaha Leela

बंशीवाला मंदिर में शाम को भगवान वराह का स्वरूप निज मंदिर से निकलकर चौक में पहुंचे। यहां पर पृथ्वी रूप में बैठी नन्ही बालिका को गोद में उठाया। इस दृश्य को देख रहे श्रद्धालुओं ने भगवान का पूजन किया।

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भगवान वराह हिरण्याक्ष के ललकारने पर उसके सामने पहुंचे, पहले उसके साथ मल्ल युद्ध हुआ, फिर उसने भगवान पर गदा का प्रहार किया, लेकिन भगवान की गदा उसके छाती पर पड़ते ही वह काल के गाल में समा गया। भगवान की इन लीलाओं का वराह अवतार का स्वरूप धारण किए पुजारी महेश ने भाव-भंगिमा के माध्यम से बखूबी दर्शाया। 

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 इसके बाद भगवान वराह गदा के साथ परिसर में बने झरोखे में हर्षनाद करते रहे। करीब एक घंटे तक यह लीला चली। इस दौरान श्रद्धालुओं ने वराह भगवान की लीलाओं को मोबाइलों में कैद किया। इससे पूर्व निज मंदिर में भगवान वराह का विधिधान से पूजन किया गया।