
जीवन में सुख, शांति, स्नेह, प्रेम और सभी प्रकार की शुभता के लिए घर या कार्यस्थल पर वास्तु का ध्यान रखना आवश्यक है। उत्तर दिशा जल तत्व का प्रतीक है। इस दिशा में घर की महिलाओं के रहने की व्यवस्था नहीं होनी चाहिए, अन्यथा उनमें मानसिक तनाव और दूसरे रोग सकते हैं। दक्षिण दिशा में पानी की निकासी के लिए नालियां होने से घर के मालिक को कष्ट, रोग एवं समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में निकास नालियां सदैव उत्तर दिशा में ही रखें।

घर का मुख्य दरवाजा अंदर के अन्य दरवाजों की तुलना में बड़ा होना चाहिए। इसके विपरीत होने से घर के मालिक को आर्थिक समस्याओं से जूझना पड़ सकता है। इसके समाधान के लिए घर के द्वार पर घंटियों की झालर, क्रिस्टल बॉल या लाल रंग का फीता लगाना ठीक रहता है। पति-पत्नी के बीच प्रगाढ़ संबंधों को बनाए रखने के लिए सोने के कमरे में बतख का जोड़ा अवश्य रखें। बतख रखने की जगह पर्याप्त प्रकाश भी होना जरूरी है। भोजन करते समय मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। दक्षिण की ओर मुख करके भोजन करना स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं देता है।