
बीकानेर रोशनी का पर्व दीपावली नजदीक आ गया है। इसी के साथ कुम्भकारों के चाक ने रफ्तार पकड़ ली है। वे दिन-रात चाक पर मिट्टी के दीपक तैयार कर रहे है। फोटो नौशाद अली

दीपावली नजदीक होने के चलते इन दिनों कुभकारों ने त्योहार को जगमग करने के लिए दीपक बनाने का कार्य शुरू कर दिया है। मिट्टी से बने दीपकों की दीपावली के दिन अधिक मांग रहती है। आधुनिकता के इस युग में भी सजावट के काम में आज भी घरों में महिलाएं रोशनी के लिए मिट्टी के दीपक का ही उपयोग करती हैं। कुंभकारों के लिए भी दीपोत्सव का खास महत्व होता है। फोटो नौशाद अली

दीपावली नजदीक होने के चलते इन दिनों कुभकारों ने त्योहार को जगमग करने के लिए दीपक बनाने का कार्य शुरू कर दिया है। मिट्टी से बने दीपकों की दीपावली के दिन अधिक मांग रहती है। आधुनिकता के इस युग में भी सजावट के काम में आज भी घरों में महिलाएं रोशनी के लिए मिट्टी के दीपक का ही उपयोग करती हैं। कुंभकारों के लिए भी दीपोत्सव का खास महत्व होता है। बाजार में उनके बनाए मिट्टी के बर्तनों दीपकों की भारी मांग रहती है। बीकानेर में एक कुहार दीपक बनाते हुए तल्लीनता से कुछ इस अंदाज में नजर आया। - फोटो नौशाद अली

बीकानेर रोशनी का पर्व दीपावली नजदीक आ गया है। इसी के साथ कुम्भकारों के चाक ने रफ्तार पकड़ ली है। वे दिन-रात चाक पर मिट्टी के दीपक तैयार कर रहे है। इलेक्ट्रोनिक्स लड़ी, रंग-बिरंगी रोशनी वाले बल्ब के बावजूद आज भी हर घर में मिट्टी के दीये अवश्य जलाए जाते है। कुम्भकार भी अब साधारण दीयों के साथ रंगीन और विभिन्न प्रकार के आकार के दीये तैयार करते है। जोधपुर और गुजरात से मशीनों से तैयार आकर्षक दीपक भी बाजार में आ चुके है। बीकानेर में कुम्हारों के मोहल्ला में मंगलवार को दीये तैयार करने में जुटे यह परिवार। फोटो - नौशाद अली