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पिता की पीठ मजबूत करने का प्रयास…….देखें ख़ास तस्वीरें

पिता की पीठ मजबूत करने का प्रयास : मुश्किल हालात आदमी को वक्त से पहले जिम्मेदारियों का भार ढोने के लिए तैयार कर देते हैं। विकट परिस्थितियों में गुजारा करती जिंदगी खेलने-खाने के दिनों में ही बहुत कुछ सिखा देती है। श्रीगंगानगर में रिक्शा चालक जब घर का चूल्हा जलाने के लिए कहीं से लकड़ी का प्रबंध कर लौटा तो बालक ने भी पिता का भार कम करने का प्रयास किया। -राजेन्द्रपालसिंह निक्का

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पिता की पीठ मजबूत करने का प्रयास.......देखें ख़ास तस्वीरें

पिता की पीठ मजबूत करने का प्रयास : मुश्किल हालात आदमी को वक्त से पहले जिम्मेदारियों का भार ढोने के लिए तैयार कर देते हैं। विकट परिस्थितियों में गुजारा करती जिंदगी खेलने-खाने के दिनों में ही बहुत कुछ सिखा देती है। श्रीगंगानगर में रिक्शा चालक जब घर का चूल्हा जलाने के लिए कहीं से लकड़ी का प्रबंध कर लौटा तो बालक ने भी पिता का भार कम करने का प्रयास किया। जलावन से भरे रिक्शा को धक्का लगाता पुत्र मानो घर की गाड़ी खींचने में पिता की मदद की कोशिश कर रहा हो। -राजेन्द्रपालसिंह निक्का

पिता की पीठ मजबूत करने का प्रयास.......देखें ख़ास तस्वीरें

पिता की पीठ मजबूत करने का प्रयास : मुश्किल हालात आदमी को वक्त से पहले जिम्मेदारियों का भार ढोने के लिए तैयार कर देते हैं। विकट परिस्थितियों में गुजारा करती जिंदगी खेलने-खाने के दिनों में ही बहुत कुछ सिखा देती है। श्रीगंगानगर में रिक्शा चालक जब घर का चूल्हा जलाने के लिए कहीं से लकड़ी का प्रबंध कर लौटा तो बालक ने भी पिता का भार कम करने का प्रयास किया। जलावन से भरे रिक्शा को धक्का लगाता पुत्र मानो घर की गाड़ी खींचने में पिता की मदद की कोशिश कर रहा हो। -राजेन्द्रपालसिंह निक्का

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पिता की पीठ मजबूत करने का प्रयास : मुश्किल हालात आदमी को वक्त से पहले जिम्मेदारियों का भार ढोने के लिए तैयार कर देते हैं। विकट परिस्थितियों में गुजारा करती जिंदगी खेलने-खाने के दिनों में ही बहुत कुछ सिखा देती है। श्रीगंगानगर में रिक्शा चालक जब घर का चूल्हा जलाने के लिए कहीं से लकड़ी का प्रबंध कर लौटा तो बालक ने भी पिता का भार कम करने का प्रयास किया। जलावन से भरे रिक्शा को धक्का लगाता पुत्र मानो घर की गाड़ी खींचने में पिता की मदद की कोशिश कर रहा हो। -राजेन्द्रपालसिंह निक्का

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पिता की पीठ मजबूत करने का प्रयास : मुश्किल हालात आदमी को वक्त से पहले जिम्मेदारियों का भार ढोने के लिए तैयार कर देते हैं। विकट परिस्थितियों में गुजारा करती जिंदगी खेलने-खाने के दिनों में ही बहुत कुछ सिखा देती है। श्रीगंगानगर में रिक्शा चालक जब घर का चूल्हा जलाने के लिए कहीं से लकड़ी का प्रबंध कर लौटा तो बालक ने भी पिता का भार कम करने का प्रयास किया। जलावन से भरे रिक्शा को धक्का लगाता पुत्र मानो घर की गाड़ी खींचने में पिता की मदद की कोशिश कर रहा हो। -राजेन्द्रपालसिंह निक्का