
badrinath
सनातन धर्म के चार प्रमुख धामों में से एक बद्रीनाथ धाम भी है। इस पौराणिक और भव्य मंदिर में भगवान श्रीहरी हिमालय पर्वत की श्रंखलाओं में विराजमान है। बद्रीनाथ धाम को सृष्टि का आठवां बैकुंठ माना जाता है।
माना जाता है कि इस धाम में भगवान श्रीहरी छह माह तक योगनिद्रा में लीन रहते हैं और छह माह तक अपने द्वार पर आए भक्तों को दर्शन देते हैं।
वहीं बद्रीनाथ का जोशीमठ में स्थित नृसिंह भगवान की मूर्ति से खास जुड़ाव माना गया है। नृसिंह भगवान मूर्ति के सन्दर्भ में ऐसी मान्यता है कि आदिगुरु शंकराचार्य जी जिस दिव्य शालिग्राम पत्थर में नारायण की पूजा करते थे। उसी में अचानक भगवान नरसिंह भगवान की मूर्ति उभर आयी थी।
मान्यता है कि जोशीमठ में स्थित इस नृसिंह भगवान की मूर्ति का एक हाथ साल-दर-साल पतला होता जा रहा है और अभी वर्तमान में भगवान नरसिंह भगवान के हाथ का वह हिस्सा सूई के गोलाई के बराबर रह गया है।
ऐसे में जिस दिन ये हाथ अलग हो जाएगा उस दिन नर और नारायण पर्वत (जय-विजय पर्वत) आपस में मिल जाएंगे और उसी क्षण से बद्रीनाथ धाम का मार्ग पूरी तरह बंद हो जाएगा।
Published on:
04 Jun 2020 03:49 pm
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