
एक ऐसा ही प्राचीन मंदिर है ‘कटारमल सूर्य मन्दिर’। इस मंदिर को उड़ीसा में स्थित सूर्य देव के प्रसिद्ध कोणार्क मंदिर के बाद दूसरा सूर्य मंदिर माना जाता है। आज हम आपको इस मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातों की जानकारी दे रहे हैं।
देवभूमि में स्थित कटारमल सूर्य मन्दिर
देवभूमि उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा में कटारमल नामक स्थान पर भगवान सूर्य देव से संबंधित प्राचीन मंदिर ‘कटारमल सूर्य मन्दिर’ स्थित है। यह मंदिर उत्तराखण्ड में अल्मोड़ा जिले के अधेली सुनार नामक गांव में है। मंदिर के निर्माण के समय को लेकर विद्वान एकमत नहीं हैं।


कटारमल सूर्य मन्दिर को ‘बड़ आदित्य सूर्य मन्दिर’ के नाम से भी जाना जाता है। इसका कारण है कि इस मन्दिर में स्थापित भगवान आदित्य की मूर्ति पत्थर या धातु की न होकर बड़ के पेड़ की लकड़ी से बनी हुई है।

पौराणिक कथा के अनुसार सतयुग में उत्तराखण्ड में ऋषि-मुनियों पर एक असुर ने अत्याचार किये थे। इस दौरान द्रोणगिरी, कषायपर्वत व कंजार पर्वत के ऋषि मुनियों ने कौशिकी यानि कोसी नदी के तट पर पहुंचकर सूर्य-देव की आराधना की। इसके बाद प्रसन्न होकर सूर्य-देव ने अपने दिव्य तेज को एक वटशिला में स्थापित किया। इसी वटशिला पर ही तत्कालीन शासक ने सूर्य-मन्दिर का निर्माण करवाया। वही मंदिर आज कटारमल सूर्य-मन्दिर के नाम से पूरे विश्व में प्रसिद्ध है।
कटारमल सूर्य मन्दिर अल्मोड़ा से रानीखेत मार्ग के नज़दीक स्थित है। मंदिर तक वायु, रेल व सड़क मार्ग द्वारा पहुंचा जा सकता है। देश के कई राज्यों खासकर दिल्ली से उत्तराखंड के लिए उत्तराखंड राज्य परिवहन की कई बसें उपलब्ध हैं। मंदिर का नजदीकी एयर पोर्ट रामनगर व हल्द्वानी के पास पंतनगर में स्थित है। यहां से मंदिर की दूरी 132 किलोमीटर के करीब है।
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इस स्थान तक रेल गाड़ी के द्वारा भी आसानी से पहुंचा जा सकता है। नजदीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम और रामनगर हैं। काठगोदाम से मंदिर की दूरी 100 किलोमीटर के लगभग है और रामनगर से 130 किलोमीटर के करीब है। एयर पोर्ट व रेलवे स्टेशन से बस या टैक्सी के द्वारा मंदिर तक पहुंच सकते हैं। अल्मोड़ा पहुंचने के बाद 18 किलोमीटर आगे जाकर, 3 किलोमीटर पैदल चलते हुए देश विदेश से आने वाले श्रद्धालु व पर्यटक मंदिर में पहुंचते हैं।