scriptये है भगवान शिव की आरामगाह : स्कंद पुराण के केदारखंड में भी है इसका वर्णन | Resting place of Lord Shiva's in india as a awakened form | Patrika News

ये है भगवान शिव की आरामगाह : स्कंद पुराण के केदारखंड में भी है इसका वर्णन

locationभोपालPublished: May 04, 2020 01:03:25 am

ताड़कासुर दैत्य का वध करने के बाद भगवान शिव ने इसी जगह किया था विश्राम!

shiv dham : tarkeswer dham

Resting place of Lord Shiva’s in india as a awakened form

सनातन धर्म में भगवान शिव को संहार का देवता कहा जाता है। भगवान शिव सौम्य आकृति एवं रौद्ररूप दोनों के लिए विख्यात हैं। अन्य देवों से शिव को भिन्न माना गया है। सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति शिव हैं। त्रिदेवों में भगवान शिव संहार के देवता माने गए हैं। शिव अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदिस्रोत हैं और यह काल महाकाल ही ज्योतिषशास्त्र के आधार हैं।

वहीं महादेव कैलाशपति शिव की तपस्थली देवभूमि उत्तराखंड को कहा जाता है। ऐसे में आज हम आपको महादेव के एक ऐसे धाम के बारे में बता रहे हैं, जिसकी ख्याति देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी है। यहां विदेशों से कई सैकड़ों भक्त हर साल आते हैं और भगवान शिव की महिमा का गुणगान करते हैं।

MUST READ : बिना मंत्र : भगवान शिव हो जाते हैं प्रसन्न, ऐसे पाएं अपार धन व समृद्धि

https://www.patrika.com/dharma-karma/eise-kare-bhagwan-shiv-ki-puja-or-paye-appar-dhan-va-samridhi-6041309/

जी हां ये जगह है ताड़केश्वर भगवान का मंदिर, जो पौड़ी जनपद के जयहरीखाल विकासखण्ड के अन्तर्गत लैन्सडौन डेरियाखाल – रिखणीखाल मार्ग पर स्थित चखुलाखाल गांव से 4 किलोमीटर की दूरी पर पर्वत श्रृंखलाओं के बीच एक बेहद ही खूबसूरत जगह में मौजूद है। ताड़केश्वर भगवान का मंदिर देवदार के करीब 4 किलोमीटर के जंगल के बीच में मौजूद है। वहीं ताड़केश्वर धाम अध्यात्मिक चेतना और उत्कृष्ट साधना का केंद्र कहा जाता है।

स्कंद पुराण के केदारखंड में है इसका वर्णन…
समुद्र तल से करीब छह हजार फीट की ऊंचाई पर मौजूद इस मंदिर को भगवान शिव की आरामगाह कहा जाता है। स्कंद पुराण के केदारखंड में इस जगह का वर्णन किया गया है।

MUST READ : मंगलवार को राशि अनुसार ऐसे करें महादेव की पूजा

https://www.patrika.com/astrology-and-spirituality/tuesday-in-vaishakh-month-puja-of-lord-shiv-5997580/
आश्चर्य: मंदिर परिसर में चिमटानुमा और त्रिशूल की आकार वाले देवदार के पेड़…
कहा गया है कि ये ही वो जगह से जहां विष गंगा और मधु गंगा उत्तर वाहिनी नदियों का उद्गम स्थल है। यहां की सबसे खास बात है मंदिर परिसर में मौजूद चिमटानुमा और त्रिशूल की आकार वाले देवदार के पेड़। ये पेड़ श्रद्धालुओं की आस्था को और भी ज्यादा मजबूत करते हैं।
कहा जाता है कि ताड़कासुर दैत्य का वध करने के बाद भगवान शिव ने इसी जगह पर आकर विश्राम किया। विश्राम के दौरान जब सूर्य की तेज किरणें भगवान शिव के चेहरे पर पड़ीं, तो मां पार्वती ने शिवजी के चारों ओर देवदार के सात वृक्ष लगाए। ये विशाल वृक्ष आज भी ताड़केश्वर धाम के अहाते में मौजूद हैं।
MUST READ : हर संकट से उबार सकती हैं आपको, रामचरितमानस की ये चौपाइयां

https://www.patrika.com/bhopal-news/ramcharitmanas-in-full-hindi-with-special-chaupaiyan-6045250/

ये भी कहा जाता है कि इस जगह पर करीब 1500 साल पहले एक सिद्ध संत पहुंचे थे। कहा जाता है कि गलत काम करने वालों को संत फटकार लगाते थे। क्षेत्र के लोग उन संत को शिवजी का अंश मानते थे। संत की फटकार यानी ताड़ना के चलते ही इस जगह का नाम ताड़केश्वर पड़ा।

ऐसे पहुंचे यहां…
यहां तक पहुंचने के लिए कोटद्वार पौड़ी से चखुलियाखाल तक जीप-टैक्सी जाती रहती हैं। यहां से 5 किमी पैदल दूरी पर ताड़केश्वर धाम है। ये एक ऐसा मंदिर है, जहां हर साल देश-विदेश से श्रद्धालु पहुंचते हैं। यहां की खूबसूरती बेमिसाल है और इसे देखकर हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाता है। खासतौर पर श्रावण मास पर तो यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो