
Dargah Hashmat Nagar
पीलीभीत। खानखॉ-ए-हशमतिया के सज्जादानशीं मौलाना ज़रताब रज़ा खॉ ने हज़रत मौलना हशमत अली खॉ का जीवन परिचय देते हुए बताया कि आज़ादी से पहले जब भारत-पाकिस्तान बंटवारे की बात चल रही थी। तब उन्होंने मोहम्मद अली जिन्नाह का पुरज़ोर विरोध किया था। हालाकिं बंटवारा हो गया लेकिन वो पीलीभीत में ही रहे। इसके बाद उन्होंने एक किताब भी लिखी थी।
बंटवारे का किया था विरोध
उन्होने बताया कि बंटवारे को लेकर को लेकर हज़रत मौलना हशमत अली खॉ काफी चिंतित रहते थे। जब उन्हे पता चला कि मोहम्मद अली जिन्ना भारत-पाकिस्तान बंटवारे को लेकर योजना बना रहे हैं तो जिन्ना के खिलाफ सबसे पहले पीलीभीत से ही आवाज़ उठाई गई थी। इस आवाज़ को बुलंद किया था हज़रत मौलाना हशमती अली खॉ ने बंटवारे से पहले एक किताब भी लिखी थी। इस किताब में जिन्ना से 72 सवाल पूछे गए थे। इस किताब पर आज भी पाकिस्तानी सरकार ने प्रतिबंध लगा रखा है। मुस्लिम लीग की स्थापना के बाद मोहम्मद अली जिन्ना लगातार भारत से अलग होकर एक नये राष्ट्र का गठन करना चाहते थे। इसका हज़रत मौलाना मोहम्मद हशमत अली खॉ ने पुरज़ोर विरोध किया था। 1942 में भारत, पाकिस्तान और बंगलादेश एक ही हुआ करते थे। जिन्ना ने मुस्लिम लीग के बैनर तले बनारस में एक कांफ्रेंस बुलाई। जिसमें देश भर के उलेमा शिरकत करने पहुंचे लेकिन हज़रत मौलाना हशमत अली खॉ ने यह कहकर इसका विरोध किया कि वो भारत का विभाजन नहीं चाहते। उन्होने 70 सवाल जिन्ना से पूछे थे। उन्होने साफ तौर पर कहा कि वे इसी देश में पैदा हुए और यहीं आखिरी सांस लेंगे। जिन्ना ने उन्हें लालच देने का भी प्रयास किया और कहा कि अगर पाकिस्तान का समर्थन कर देंगे तो वे जिस सूबे का चाहे गर्वनर बन सकते है। इतना सबकुछ होने के बाद उन्हें महात्मा गांधी का हिमायती बताया जाने लगे। इसपर उन्हांने गांधीनगर (गुजरात) जाकर इस्लाम और देश पर एक साथ 32 तकरीरें की।
Published on:
01 Nov 2018 12:19 pm
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