साथ ही साथ उन्होंने यह भी कहा कि
आजम खां मुसलमानों के मसीहा नहीं हैं क्योंकि सरकार में रहते हुए उन्होंने मुसलमानों के लिए कोई खास काम नहीं किया। जब वो मिनिस्टर थे तो न तो उन्होंने किसी मदरसे को ग्रांट दी और न ही मुसलमानों के उत्थान के लिए कोई कार्य किया। रही बात मुस्लिम होने के नाते मदद की तो आज तक जौहर यूनिवर्सिटी में एक भी मुसलमान या गरीब बच्चे का दाखिला फ्री में नहीं हुआ।
उन्होंने कहा कि अगर आजम खां को मुसलमान की फिक्र होती तो जौहर यूनिवर्सिटी में अल्पसंख्यकों के लिए कोटा निर्धारित होता है। कई बच्चे जो जौहर यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने गए लेकिन पैसे न होने की वजह से उन्हें मायूस होकर लौटना पड़ा जबकि आजम खां उनकी मदद कर सकते थे। साथ ही साथ मुफ़्ती जरताब ने आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी लाइब्रेरी से चोरी की हुई किताबें मुस्लिमों व मदरसों को बदनाम कर रही हैं।