
Triple Talaq
पीलीभीत। लोकसभा (Lok Sabha) के बाद राज्यसभा (Rajya Sabha) में तीन तलाक का बिल (Triple Talaq Bill) पास होने के बाद अब इसे एक कानून के रूप में देशभर में लागू किया जाएगा। इससे जहां मुस्लिम महिलाओं के बीच जश्न का माहौल है, वहीं शहर के उलेमा (Ulema) इससे बेहद नाखुश नजर आ रहे हैं। कोई इसे सियासती हथकंडा बता रहा है तो कोई इस फैसले को मानने से इंकार कर कुरान (Quran) के मुताबिक चलने की बात कह रहा है। आइए जानते हैं किसने क्या कहा।
शहर के मुफ़्ती जरताव रजा खां कहते हैं कि ये बिल एक सियासती हथकंडा है। इससे हमें कोई मतलब नहीं है। हम अपने नवी के फरमान और कुरान के फरमान को मानते हैं। ऐसे तो कितने कानून बनते हैं, मुसलमान अपने 1400 वर्ष पुराने नवी के फरमान को फॉलो करेगा। अगर हमारे सामने भी ऐसे सवाल आएंगे तो हम कुरान के हिसाब से उनका जवाब देंगे।
शहर के इमाम इसरार का कहना है कि 1400 पहले से चला आ रहा जो शरीयत का कानून है, वही लागू है और उसी को ही माना जाएगा। शरीयत में जो तलाक—ए— बिद्दत की जो तरकीब बतायी है, उसी के हिसाब से हम शरीयत का पालन करते हैं और करते रहेंगे। रही बात कानून की तो पहले पढ़ा जाएगा कि कानून में क्या कहा गया है। देखा जाएगा कि वो शरीयत के खिलाफ है या नहीं, उसके बाद देखा जाएगा कि हम लोगों को क्या करना है।
वहीं मुफ़्ती हसन मियां ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कानून की बात अपनी जगह है लेकिन हमारे संविधान ने हमें जो मजहबी आजादी दी है, लगता है कि अब वो हमें नहीं मिल रही है। सदन में तो जिनकी तादाद ज्यादा होगी, उसी का बिल पास हो जाएगा। आम तरीके से पूरे समाज से अगर वोटिंग करायी जाती तो मुझे नहीं लगता कि बिल पास होता।
Published on:
31 Jul 2019 05:05 pm
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