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जनता के लिए नदी पर पुल बनाने की सीख पड़ोसी नेपाल से ले सकता है उत्तर प्रदेश

अगर आर्थिक आधार पर नेपाल, भारत से पीछे है, पर अपनी जनता के लिए नेपाल कितना सजग है, इसकी सीख उत्तर प्रदेश ले सकता है।

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पीलीभीत। अगर आर्थिक आधार पर नेपाल, भारत से पीछे है, पर अपनी जनता के लिए नेपाल कितना सजग है, इसकी सीख उत्तर प्रदेश ले सकता है। भारत-नेपाल सीमा के सीमांत गांव की आबादी को भारत तक पहुंचाने के लिए कलीनगर तहसील क्षेत्र के इंडो-नेपाल सीमा पर बहने वाली नदी पर नेपाल सरकार द्वारा तीन पुलों का निर्माण कराया गया है। उत्तर प्रदेश में पीलीभीत की पूरनपुर व कलीनगर तहसील के कई गांव ऐसे हैं जिनका बरसात के समय में पीलीभीत जिला मुख्यालय व तहसील से संपर्क टूट जाता है। कई गांवों की आबादी को लगभग छह महीने तक तहसील व जिला मुख्यालय से संपर्क साधने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता है।

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जनता की मांगों को लेकर सजग नहीं शासन- प्रशासन
पूरनपुर तहसील कलीनगर व पूरनपुर के शारदा पार स्थित कई गांव के स्थानीय लोगों ने कई बार पत्र सौंपकर स्थाई पुल बनाने की मांग सरकार व प्रशासन से की है। राजनीति कहें या ढीलाढाला रवैया, आज तक स्थाई पुल बनाने की कवायद शुरू नहीं हो पाई है। पुल के नाम पर एक अस्थाई पैंटून पुल बनाया जाता है, जो बरसात होते ही बंद हो जाता है।

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नाव ही संपर्क का एक मात्र रास्ता
पीलीभीत कलीनगर व पूरनपुर तहसील क्षेत्र के शारदा पर स्थित गांव के लोगों के पास मुख्यालय व तहसील से संपर्क करने का एकमात्र साधन नाव ही है। मासूम नौनिहाल नाव के सहारे ही शारदा पार से पढ़ने आते हैं। और तो और राशन पानी ले जाने व जुताई के लिए खेतों में ट्रैक्टर पहुंचाने का कार्य भी नाव के सहारे ही होता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि स्थानीय प्रशासन को नेपाल प्रशासन से सीख लेनी चाहिए।
इनपुटः सौरभ दीक्षित

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