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इससे पहले गृह मंत्रालय ( MHA ) ने असम एनआरसी का डाटा ऑफलाइन होने पर कहा कि एनआरसी का डाटा सुरक्षित है। कुछ तकनीकी परेशनी क्लाउड में दिखाई दी है। जल्द ही इस समस्या का समाधान कर लिया जाएगा। एनआरसी के स्टेट कॉडिनेटर हितेश देव शर्मा ने बताया कि डाटा पूरी तरह से सुरक्षित है इसमें कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। तकनीकी गड़बड़ी के चलते ये समस्या आ गई है।
बता दें कि असम के राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर से जुड़ी नागरिकों का सभी विवरण आधिकारिक वेबसाइट से गायब हो गया। अक्टूबर में रजिस्टर में शामिल और रजिस्टर से बाहर सभी नागरिकों की पूरी जानकारी nrcassam.nic.in पर अपलोड की गई थी। इसी लिस्ट में रजिस्टर में शामिल 3.11 करोड़ लोगों के साथ-साथ रजिस्टर से बाहर 19.06 लाख लोगों की भी पूरी जानकारी थी। ऐसे में असम के लोगों के साथ-साथ देश के अन्य लोग भी हैरान थे। हालांकि, इसकी वजह गृह मंत्रालय ने बता दी है।
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इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद असम में एनआरसी की प्रक्रिया शुरू हुई थी। अगस्त, 2019 में प्रकाशित एनआरसी की अंतिम सूची से करीब 19 लाख लोग बाहर रह गए थे।
एनआरसी को लेकर मंगलवार को लोकसभा में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने जानकारी दी थी कि अगर असम एनआरसी में माता-पिता का नाम है, तो छूटे बच्चों को डिटेंशन सेंटर नहीं भेजा जाएगा। उन्होंने बताया कि अटॉर्नी जनरल ने 6 जनवरी 2020 को शीर्ष कोर्ट के समक्ष कहा था कि ऐसे बच्चों को उनके अभिभावकों से अलग नहीं किया जाएगा और डिटेंशन सेंटर भी नहीं भेजा जाएगा।