
नई दिल्ली। तमिलनाडु के राजनीतिक दलों ने हिंदी को लेकर भाजपा अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान पर तल्ख टिप्पणी की है। एआईएडीएमके के नेता और तमिलनाडु सरकार में संस्कृति मंत्री के पांडियाराजन ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि यदि केंद्र हिंदी को एकतरफा देश भर में लागू करता है तो उसका हम लोग खुला विरोध करेंगे।
केंद्र सरकार के इस पहल का न केवल तमिलनाडु में बल्कि बंगाल, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों से कोई समर्थन नहीं मिलेगा।
अन्नाद्रमुक (एआईएडीएमके) ने अमित शाह से मांग की वह हिंदी को लेकर अपने यह विचार वापस लें। एआईएडीएमके के नेता ने कहा कि अगर केंद्र सरकार हिंदी को राष्ट्र भाषा बनाने की दिशा में एकतरफा कदम उठाती है तो उसे तमिलनाडु बंगाल, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में कोई समर्थन नहीं मिलेगा।
विविधता में एकता की पहचान को न मिटाए सरकार
डीएमके नेता एमके स्टालिन ने अमित शाह के बयान पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि बहुलवाद भारत की सबसे बड़ी ताकत है। देश की विविधता में एकता देश की सांस्कृतिक पहचान है। उन्होंने आरोप लगाया केंद्र में सत्ता संभालने के बाद से ही बीजेपी सरकार इस तरह पहचान को मिटाने वाले कदम उठा रही है।
हिंदी को थोपा नहीं जा सकता
वहीं एमडीएमके प्रमुख वाइको ने कहा कि अगर भारत को अकेले हिंदी का देश बनना है तो केवल हिंदी भाषी राज्य इसका हिस्सा होंगे। ऐसी स्थिति में तमिलनाडु और पूर्वोत्तर जैसे कई राज्य भारत का हिस्सा नहीं रह पाएंगे। पीएमके के संस्थापक नेता एस रामदास ने शाह की टिप्पणी को गलत करार दिया है। उन्होंने कहा कि हिंदी को सभी पर थोपा नहीं जाना चाहिए। बता दें कि पीएमके और बीजेपी हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक गठबंधन का हिस्सा थ।
इससे पहले अमित शाह ने हिंदी दिवस के मौके पर कहा कि हिंदी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है जो एक आम भाषा के रूप में देश को एकजुट कर सकती है.
Updated on:
15 Sept 2019 01:22 am
Published on:
14 Sept 2019 11:56 pm
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