संघ से सभी को जुड़ने की जरूरत
इससे पहले मई में उन्होंने आरआरएस को लेकर बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा कि आरएसएस एक राष्ट्रवादी संगठन है। राष्ट्रहित संघ की प्राथमिकता सूची में सबसे ऊपर रहता है। इससे संघ समझौता नहीं करता। इसलिए इस संगठन के साथ देश के सभी लोगों को जुड़ना चाहिए। उन्होंने ये भी कहा था कि संघ से जुड़ने पर देश की कई समस्याओं का समाधान हो खुद ब खुद हो जाएगा ।
इससे पहले मई में उन्होंने आरआरएस को लेकर बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा कि आरएसएस एक राष्ट्रवादी संगठन है। राष्ट्रहित संघ की प्राथमिकता सूची में सबसे ऊपर रहता है। इससे संघ समझौता नहीं करता। इसलिए इस संगठन के साथ देश के सभी लोगों को जुड़ना चाहिए। उन्होंने ये भी कहा था कि संघ से जुड़ने पर देश की कई समस्याओं का समाधान हो खुद ब खुद हो जाएगा ।
संघ का विरोध कोई नई बात नहीं
आपको बता दें कि संघ की स्थापना 27 सितंबर, 1925 को डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने नागपुर में की थी। आरएसएस भारत का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन माना जाता है। शहर और गांव मिलाकर करीब 83 हजार स्थानों पर संघ की शाखा, साप्ताहिक मिलन और संघ मंडली लगती हैं। इस समय संघ की करीब 59 हजार शाखाएं काम कर रही हैं। इनके अलावा 24,500 साप्ताहिक मिलन और संघ मंडली सक्रिय हैं। एक अनुमान के मुताबिक देश भर में एक करोड़ से ज्यादा प्रशिक्षित स्वयंसेवक हैं जो संघ के अनुशासन और नियमों के दायरे में सामाजिक और सांस्कृतिक तौर पर सक्रिय हैं। इसके बावजूद संघ के कई विचारों से विरोधी दलों के नेता सहमत नहीं है। यही कारण है कि संघ के कार्यक्रमों को लेकर विवाद होता रहता है। विरोधी दल के नेता पार्टी लाइन के अनुसार समय-समय पर उसका समर्थन या विरोध करते रहते हैं।
आपको बता दें कि संघ की स्थापना 27 सितंबर, 1925 को डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने नागपुर में की थी। आरएसएस भारत का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन माना जाता है। शहर और गांव मिलाकर करीब 83 हजार स्थानों पर संघ की शाखा, साप्ताहिक मिलन और संघ मंडली लगती हैं। इस समय संघ की करीब 59 हजार शाखाएं काम कर रही हैं। इनके अलावा 24,500 साप्ताहिक मिलन और संघ मंडली सक्रिय हैं। एक अनुमान के मुताबिक देश भर में एक करोड़ से ज्यादा प्रशिक्षित स्वयंसेवक हैं जो संघ के अनुशासन और नियमों के दायरे में सामाजिक और सांस्कृतिक तौर पर सक्रिय हैं। इसके बावजूद संघ के कई विचारों से विरोधी दलों के नेता सहमत नहीं है। यही कारण है कि संघ के कार्यक्रमों को लेकर विवाद होता रहता है। विरोधी दल के नेता पार्टी लाइन के अनुसार समय-समय पर उसका समर्थन या विरोध करते रहते हैं।