इस मामले में आरोपी सुरेंद्र गाडलिंग की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप करने की गुजारिश की है। उन्होंने इसको लेकर एक याचिका दायर की है। सुरेंद्र की पत्नी मीनल गाडलिंग का आरोप है कि इन सभी को मामले में फंसाया जा रहा है जबकि उनकी इस हिंसा में कोई भागीदारी नहीं थी। इसके बावजूद पूणे पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करने का काम किया। उनका आरोप है कि पुख्ता सबूतों के अभाव के बावजूद पुलिस ने यह कदम उठाया। पुलिस के इस कार्रवाई पर रोक लगाने की जरूरत है। पुणे पुलिस ने पांचों आरोपियों को माओवादियों के साथ निकट संबंध होने के आरोप में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम ऐक्ट के तहत गिरफ्तार किया था। मामले में जनवरी में एक एफआईआर दर्ज की गई थी और मार्च में कुछ और धाराएं जोड़ी गई थीं।
हिंसा की ये घटना एक जनवरी 2018 की है। इस मामले में पांच लोगों की गिरफ्तारी के बाद एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ था। पुणे पुलिस को इनमें से एक आरोपी के घर से ऐसा पत्र मिला था जिसमें राजीव गांधी की हत्या जैसी प्लानिंग का ही जिक्र था। इस पत्र में पीएम नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने की बात भी कही गई थी। जिसके आधार पर विगत मंगलवार को देशभर के कई शहरों मुंबई, रांची, हैदराबाद, फरीदाबाद, दिल्ली और ठाणे में पुणे पुलिस ने छापेमारी कर इन लोगों को गिरफ्तार किया था।
आपको बता दें कि माओवादियों से कथित रिश्तों और गैर-कानूनी गतिविधियों के आरोप में पुणे पुलिस ने जिन 5 माओवादी शुभचिंतकों को गिरफ्तार किया था। वे लंबे समय से माओवादी संगठनों के लिए बतौर एक्टिविस्ट काम करते रहे हैं। पुलिस के मुताबिक भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ्तार किए गए माओवादियों के पास मिले दस्तावेजों में इन लोगों के नाम थे। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को आदेश दिया था कि भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले के संबंध में 28 अगस्त को गिरफ्तार किए गए पांच कार्यकर्ताओं को छह सितंबर तक उनके घर में ही नजरबंद रखा जाए।