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Bihar Election Results: कन्हैया कुमार का जादू कर गया काम! पिछली बार से बेहतर दिख रहा वाम

Bihar Election Results वाम दलों के प्रदर्शन ने चौंकाया 20 सीटों पर बढ़त ने खिले वामपंथियों के चेहरे महागठबंधन के साथ रास आई चुनावी लड़ाई

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Dheeraj Sharma

Nov 10, 2020

Bihar Assembly Election

बिहार विधानसभा चुनाव 2020

नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव ( Bihar Election Results 2020 ) के नतीजों पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं। एनडीए एक बार फिर आगे चल रही है, हालांकि परिणाम देर रात तक आ सकते हैं। लेकिन एक तरफ जहां बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, वहीं वामदल ने चुनाव में 19 सीटों पर बढ़त बनाकर अच्छे प्रदर्शन की तरफ इशारा किया है।

वामदलों का प्रदर्शन सभी के लिए चौंकाने वाला है। इस बार वाम दल ने महागठबंधन के साथ चुनाव लड़ा, जिसका नतीजा फिलहाल बेहतर दिखाई दे रहा है। इस चुनाव में महागठबंधन की ओर से चुनाव लड़ रहे वामदलों को 30 सीटें दी गई थीं।

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महागठबंधन में शामिल होकर चुनाव मैदान में उतरी वामपंथी धारा की तीन पार्टियां लगभग 20 सीटों पर रुझानों में आगे बनी हुई हैं। जबकि पिछले परिणामों पर नजर दौड़ाएं तो इन्हें महज 3 सीटों पर सिमटना पड़ा था।

सीपीआई लिबरेशन को ज्यादा फायदा
सीपीआई (एमएल) लिबरेशन को सबसे अधिक फायदा होता नजर आ रहा है। यह पार्टी 13 सीटों पर आगे चल रही है। ये सीटें- अगिआंव, आरा, अरवल, बलरामपुर, दरौली, दरौंदा, डुमरांव, घोसी, काराकाट, पालीगंज, फलवारी, तरारी, जीरादेई हैं।

वहीं बछवारा, तेघरा और बाखड़ी में सीपीआई आगे चल रही है, जबकि सीपीआई एम भी मांझी, बिभुतीपुर और मैथानी में आगे है।

पिछले चुनाव का नतीजा
पिछले चुनाव के परिणामों पर नजर डालें तो सीपीआई को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली। जबकि सीपीआई एम को दो लाख 32 हजार 149 वोट मिलने के बाद भी एक भी सीट जीत हासिल नहीं हुई। हालांकि सीपीआई लिबरेशन 3 सीटों पर जीत अर्जित करने में कामयाब रही।

कन्हैया का असर
वाम पार्टियों के लिए ये रुझान उत्साहित करने वाले हैं। कन्हैया कुमार की रैलियों का असर चुनाव नतीजों के रुझानों में दिखाई दे रहा है।

भाषणों में दिखा बदलाव
कन्हैया कुमार ने चुनाव तो नहीं लड़ा, लेकिन वाम दल के लिए स्टार प्रचारकों में जरूर शामिल रहे। कन्हैया वैसे तो अपनी तीखे प्रहार करने वाली भाषा के लिए जाने जाते हैं। इस बार चुनावी रैलियों और भाषणों में उनसे उम्मीद यही की जा रही थी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।

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कन्हैया ने अपने चुनावी भाषणों का रुख कुछ अलग रखा। सधी हुई भाषा में बोलते नजर आए। उन्होंने अभद्र भाषा की जगह चुनावी मुद्दों पर बात की। इसका असर शायद परिणामों पर देखने को मिला।

वहीं महागठबंधन में आरजेडी और कांग्रेस की कैमिस्ट्री का असर भी वामदलों के प्रदर्शन सुधारने में बड़ा कारण रहा।