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बिहार चुनाव के नतीजे दे गए बीजेपी से लेकर जदयू और राजद को सबक, जानिए प्रमुख बातें

Published: Nov 11, 2020 10:32:50 am

Submitted by:

Saurabh Sharma

बिहार इलेक्शन में फिर से काम आया बीजेपी के लिए मोदी ब्रांड, पार्टी रणनीतिकारों को चिंतित होने की जरुरत
बिहार में बीजेपी ने जदयू को दिया फिर से जीवनदान, स्थानीय पार्टी को समझ में आई अपनी हैैसियत

Bihar results give lesson to JDU and RJD from BJP, know key things

Bihar results give lesson to JDU and RJD from BJP, know key things

नई दिल्ली। बिहार चुनाव के नतीजे कई तरह के सबक देने वाला रहा है। उन पार्टियों को भी जिनका गठबंधन लगातार चौथी बार बिहार में सरकार बनाने जा रहा है। वहीं उस गठबंधन की पार्टी को भी जो लगातार दूसरी बार सबसे बड़ी पार्टी होने के बाद भी सरकार नहीं बना सकी। जी हां, यहां बात बीजेपी, जदयू और आरजेडी की हो रही है। जहां बीजेपी को मोदी ब्रांड के बाद की स्थिति यानी वैकल्पिक व्यवस्था के बारे में विचार करना होगा।

वहीं दूसरी ओर जदयू को दोबारा से समीक्षा करनी होगी कि आखिर वो अब कहां है। इसकी एक वजह यह भी है कि आने वाले सालों में नीतीश कुमार जदयू के लिए वो वैसा काम ना कर पाएं जैसा कि वो सालों से करते आ रहे हैं। वहीं आरजेडी को एक बार फिर से विचार करने की जरुरत है कि आखिर लगातार दूसरे चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनने के बाद भी सरकार बनाने से कहां चूक गई।

मोदी ब्रांड के विकल्प पर अभी से विचार जरूरी
भाजपा अपने विरोधियों को निपटाने के लिए मोदी ब्रांड का इस्तेमाल कई बार कर चुकी है। जो काफी हद तक सफल भी रहा है। मुमकिन है आने वाले कुछ और चुनाव में भी उनका सलफतापूर्वक इस्तेमाल किया जा सकता है। यह बीजेपी के लिए अच्छा भी है और कुछ हद तक खतरनाक भी। इसका कारण है, अगर मोदी फेल होते हैं तो भाजपा की चुनावी राजनीति अचानक चरमरा जाएगी। ऐसे में पार्टी के रणनीतिकारों को इस बारे में चिंतित होने के साथ नए विकल्पों के बारे में सोचने की जरुरत है।

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गठबंधन के लाभ और हानि दोनों सामने
वहीं बिहार चुनाव और उसके नतीजों के बाद गठबंधन की राजनीति के दोनों परिणाम लाभ और हानि सामने आ चुके हैं। अगर बात भाजपा की करें तो उनके लिए गठबंधन एक अस्थाई रणनीति है, जबकि गैर-भाजपा दलों जैसे जदयू के लिए, एक जीवनदान है। बिहार के मतदाताओं द्वारा नीतीश कुमार से थकने के बावजूद बीजेपी ने अपने गठबंधन को बनाए रखा। साथ ही अब वो अपने उस वादे को भी पूरा करेंगे, जिसमें उन्होंने कहा था कि वोट किसी भी पार्टी को कितने भी मिलें, सरकार का प्रतिनिधित्व नीतीश ही करेंगे। वहीं दूसरी ओर जदयू खासकर नीतीश कुमार को फिर से देखना होगा कि वो कहा खड़े हैं। इस बार उन्हें बड़ी गहरी चोट लगी है। देखना यह भी दिलचस्प होगा कि इन बदली हुई परिस्थितियों में भाजपा और जदयू के संबंध किस तरह के रहते हैं।

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बिहार में जदयू नहीं बीजेपी वर्सेज आरजेडी
बिहार में बीते दो चुनावों में आरजेडी ने दिखा दिया है कि वो हाशिए पर नहीं है। 2015 में 80 सीट और 2020 में 75 सीट केे रूप सबसे बड़ी बनकर यह दिखाया है कि अगर किसी भी पार्टी को बिहार में सरकार बनानी है तो उनसे मुकाबला तगड़ा होगा। यह बात 2020 के चुनावों में भी देखने को मिली। बीजेपी को आरजेडी से तगड़ी टक्कर मिली। अब यह कहना गलत नहीं होगा कि बिहार में आरजेडी का मुकाबला जदयू से नहीं बल्कि बीजेपी से है। वहीं आरजेडी को भी बीजेपी जैसी कैडर पार्टी से लडऩे के लिए अपनी रणनीति में बदलाव करने की जरुरत होगी।

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