
बेंगलुरु। बीजेपी ने कर्नाटक विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए एक व्यापक योजना की तैयारी कर ली है। सीएम पद के पूर्व उम्मीदवार और जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी और उनके भाई एच डी रेवन्ना के बीच कथित मतभेद की खबरों के बीच लिंगायत समुदाय से आने वाले कांग्रेस के 14 और जेडीएस के 6 विधायकों को 'आसान' शिकार मानते हुए मानते हुए बीजेपी ने इन विधायकों पर डोरे डालने शुरू कर दिए हैं।
काम आ रहा है येदियुरप्पा का लिंगायत होना
कर्नाटक में राजनीतिक रूप से प्रभावशाली लिंगायत समुदाय के अनुभवी और दिग्गज नेता येदियुरप्पा को लिंगायत होने का खूब फायदा मिलता दिख रहा है। लिंगायत विधयकों को अपने पक्ष में मिलाने के लिए पार्टी कोई कोर-कसर भी नहीं छोड़ रही है। अब बीजेपी, कांग्रेस और जेडीएस के विधायकों से लिंगायत मुद्दे पर भावनात्मक अपील करने के साथ-साथ शपथ ग्रहण करने के बाद येदियुरप्पा द्वारा लिंगायत धर्मगुरुओं से लिए गए आशीर्वाद का भी जमकर इस्तेमाल कर रही है।
बीजेपी को गया लिंगायत वोट
कर्नाटक में लिंगायत समुदाय आबादी का 20% है। बताया जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के लिंगायत समुदाय को धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा देने बावजूद येदियुरप्पा के नेतृत्व में बीजेपी को इस समुदाय का पर्याप्त समर्थन मिला है।
बीजेपी का मास्टर प्लान
बीजेपी को उम्मीद है कि कर्नाटक प्रगतिवंत जनता पार्टी (केपीजेपी) के विधायक आर शंकर और निर्दलीय विधायक एच नागेश को अंतिम समय में लुभाया जा सकता है। इन दोनों विधायकों ने शुरुआत में भाजपा को अपना समर्थन दिया था लेकिन बाद में कांग्रेस के पाले में चले गए। बीजेपी ने कुछ विधायकों को अपने पक्ष में मिलाने के लिए कुछ वरिष्ठ नेताओं को भी मोर्चे पर लगाया है। बताया जा रहा है कि दिल्ली के साथ-साथ कई अन्य राज्यों से अनुभवी नेताओं को इस स्थिति से निपटने के लिए बुलाया गया है। ये नेता जोड़तोड़ में माहिर हैं।
टूट सकती है जेडीएस
माना जा रहा है कि बीजेपी जेडीएस नेता एचडी रेवन्ना को उपमुख्यमंत्री पद की पेशकश कर सकती है। अगर ऐसा हुआ तो जेडीएस टूट सकती है। इसके अलावा कांग्रेस के विधायक बीएस आनंद सिंह और प्रताप गौड़ा पाटिल भाजपा का समर्थन कर सकते हैं। अगर बीजेपी कुछ कांग्रेसी और जेडीएस विधयकों को तोड़ लेती है तो वह या तो अनुपस्थित रह सकते हैं या मतदान से दूर रह सकते हैं। इससे बीजेपी का रास्ता साफ हो जाएगा। हालांकि ऐसे विधायकों को दल बदल कानून के प्रावधानों के तहत अयोग्यता संबधी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन यह एक पेंचीदा प्रक्रिया है और इसमें बहुत लम्बा वक्त लग सकता है ।

Published on:
19 May 2018 10:13 am
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