2013 में 100 से कम अल्पसंख्यक उम्मीदवारों को भाजपा ने दिया था टिकट
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में आगामी ग्रामीण क्षेत्रों में 14 मई को चुनाव होने हैं। सबसे रोचक और खास बात यह है कि 2013 में हुए पंचायत चुनाव में भाजपा ने 100से भी कम अल्पसंख्यक उम्मीदवारों को टिकट दिया था। हालांकि तृणमूल कांग्रेस भाजपा के इस नए प्रयोग को ज्यादा महत्व नहीं दे रही है। तृणमूल कांग्रेस का कहना है कि प्रदेश की जनता और खासकर अल्पसंख्यकों को दीदी (ममता बनर्जी) पर भरोसा बरकरार है और इस चुनाव में वह प्रचंड बहुमत के साथ जीत दर्ज करेगी। आपको बता दें कि एक टीएमसी नेता ने बताया कि अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों का भरोसा दीदी पर बरकरार है। भाजपा चागे जितने प्रयास कर ले सफल नहीं हो सकती है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा राज्य में दंगा फैलाने का काम कर रही है और इतने अल्पसंख्यकों को टिकट देकर दंगों को हवा दे रही है। हालांकि भाजपा ने 2016 के विधानसभा चुनाव में महज 6 अल्पसंख्यक उम्मीदवारों को टिकट दिया था। बता दें कि प्रदेश में 30 फीसदी मुसलमानों की आबादी है। इसी आबादी के वोट बैंक पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं।
पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव: नामांकन के दौरान भिड़े तृणमूल और भाजपा समर्थक
उम्मीदवारों को उनकी क्षमता के आधार पर दी गई है टिकट: दिलीप घोष
आपको बता दें कि एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने बताया कि पश्चिम बंगाल के मुस्लिम समुदाय अब समझ चुके हैं कि भाजपा उनकी दुश्मन नहीं है, जैसा कि वर्षों से विपक्षी दल कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस दिखाने का प्रयास कर रही है। भाजपा कू राज्य इकाई के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि यदि प्रेदश के ग्रामीण इलाकों में शांतिपूर्ण माहौल होता तो भाजपा इस पंचायत चुनाव में 2000 से अधिक अल्पसंख्यक उम्मीदवारों का मैदान में उतारती। उन्होंने कहा कि भाजपा ने एक भी टिकट जाति और धर्म को देखकर नहीं दिया है बल्कि उम्मीदवार की काबिलियत और उनके जीतने की क्षमता के आधार पर उन्हें टिकट दिया गया है।