
नई दिल्ली। देश की राजधानी का एक स्वर्णिम अध्याय 20 जुलाई को समाप्त हो गया। दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ( Delhi former CM Sheila Dixit ) ने 81 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली। कांग्रेस की इस कद्दावर नेता ने अपनी राजनीतिक क्षमताओं और सूझ बूझ के साथ देशभर में अपनी अलग पहचान बनाई।
दिल्ली की राजनीति ( delhi politics )में शीला ने जिस धारदार तरीके से विरोधियों को पटखनी दी उतनी ही बीरीकी से विकास कामों को भी गति दी। यही वजह रही कि दिल्लावासियों ने दिल खोलकर शीला को एक, दो नहीं बल्कि तीन बार अपना मुख्यमंत्री बनाया।
बदल दिया दिल्ली का चेहरा
कांग्रेस ने शुरू से ही अपनी इस छोटे कद की नेता में बड़ी प्रतिभा देखी। यही वजह रही कि उन्हें बड़ी जिम्मेदारियां भी सौंपी गईं। दिल्ली में अपने पहले ही चुनाव में शीला दीक्षित ने झंडे भी गाढ़ दिए और 1998 में मुख्यमंत्री बनकर पार्टी को बड़ी जीत दिलाई। यहीं से निकला दिल्ली के विकास का चमकीला सूरज।
मेट्रो का जाल
शीला दीक्षित ने अपने कार्यकाल में दिल्ली को वो तोहफा दिया जिसने दिल्ली की रफ्तार में नया कीर्तिमान रचा। दिल्ली में बिछे मेट्रो के जाल का श्रेय शीला दीक्षित को ही जाता है। शीला दीक्षित ने ईश्रीधरन के साथ कई बैठकें करने के बाद मेट्रो का मैप तैयार किया। नतीजा दिल्ली को विश्वस्तरीय मेट्रो की सेवा मिली और 2 दिसंबर 2002 में दिल्ली में पहली मेट्रो रेल चली।
दिल्ली पहली मेट्रो रेल 8.6 किमी की रही। जो शाहदरा से तीसहजारी कॉरीडोर के बीच दौड़ी। 11 नवंबर 2006 में पहले फेज के अंतिम कॉरीडोर (बाराखंभा से इंद्रप्रस्थ) के बीच मेट्रो ट्रेन का परिचालन शुरू हुआ।
इस दौरान 65.1 किलोमीटर के दायरे में 59 मेट्रो स्टेशन के जरिए लोगों को विश्वस्तरीय आवागमन का साधन उपलब्ध कराया गया।
वर्तमान समय में 223 ट्रेनें रोजाना 3248 चक्कर लगाकर एक दिन में करीब 96 हजार किलोमीटर की दूरी तय कर रही हैं।
250 से ज्यादा फ्लाइओवर
पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने दिल्लीवासियों को दूसरी बड़ी सौगात फ्लाइओवर की दी। दिल्ली में लगने वाले लंबे जाम से इन फ्लाइओवर ने लोगों को न सिर्फ निजात दिलाई। बल्कि लोगों के समय और खर्च को भी काफी राहत पहुंचाई।
1998 के बाद से लगातार शीला दीक्षित ने दिल्ली की सड़कों और नए रास्ते विकसित करने पर जोर दिया। इसका नतीजा रहा कि मौजूदा समय में दिल्ली में 250 से ज्यादा फ्लाइओवर मौजूद हैं, जो दिल्ली के साथ-साथ एनसीआर को भी जोड़कर कामकाजी लोगों के लिए वरदान साबित हो रहे हैं।
सीएनजी भी शीला की देन
दिल्ली को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए शीला दीक्षित ने 20 साल पहले ही खाका तैयार कर लिया था। इसके लिए हरियाली के साथ-साथ सीएनजी लाना भी उनकी प्राथमिकता में शामिल रहा।
सार्वजनिक परिवहन सेवा मौजूदा समय में पूरी तरह सीएनजी आधारित है तो इसका पूरा श्रेय भी शीला दीक्षित को ही जाता है। सीएनजी के आने से ना सिर्फ प्रदूषण कम हुआ साथ ही लोगों को पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों से भी बड़ी राहत देने का काम किया।
किलर ब्लू लाइन को किया बंद
दिल्ली सड़कों पर मौत की तरह दौड़ रही निजी ब्लू लाइन बसों को बंद करने का दम रखने वाली भी शीला दीक्षित ही थीं। शीला ने ना केवल इस बसों के खिलाफ अभियान चलाया बल्कि माफियाओं के सामने चुनौती बन कर खड़ी हो गईं।
ब्लू लाइन की चपेट में आने से रोजाना कई लोगों की मौत हो रही थी। यही वजह थी कि शीला दीक्षित ने इस निपटने का प्लान बनाना शुरू किया। सीएनजी बजें लाने की बड़ी वजहों में एक वजह ये भी शामिल थी।
सरकारी अस्पतालों की हालत में सुधार
शीला दीक्षित ने अपने कार्यकाल के दौरान बुनियादी सुविधाओं पर भी काफी जोर दिया। हर तबके को इलाज मुहैया हो इसके लिए सरकारी अस्पतालों की हालात सुधारने पर हर वक्त शीला का जोर रहा। नतीजा यह रहा कि दिल्ली के सभी सरकारी अस्पतालों में हर तरह के रोगों की बेहरतरीन इलाज उपलब्ध हुआ।
ये इलाज आसान और सुलभ भी बनाया गया। यहां उच्च स्तरीय चिकित्सकों के साथ तकनीकी सुविधाओं को जोड़ने के लिए भी शीला दीक्षित ने खूब काम किया।
शिक्षा से विकास का रास्ता
सेहत के साथ शिक्षा स्तर को सुधारने के लिए भी शीला दीक्षित ने काफी काम किए। सरकारी स्कूलों से लेकर निजी स्कूलों की हालत में सुधार लाना उनकी प्राथमिकता में शामिल रहा। शीला दीक्षित का मानना था कि देश के विकास के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है शिक्षा। ऐसे में उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान बुनियादी सुविधाओं के साथ शिक्षा पर भी काफी जोर दिया।
Updated on:
21 Jul 2019 11:58 am
Published on:
20 Jul 2019 08:16 pm
बड़ी खबरें
View Allराजनीति
ट्रेंडिंग
