कांग्रेस नेता और गुजरात के पूर्व सीएम Madhav Singh Solanki का 94 की उम्र में निधन, पीएम मोदी और राहुल गांधी ने जताया शोक
- कांग्रेस के वरिष्ठ नेता माधव सिंह सोलंकी का निधन
- 94 की उम्र में ली अंतिम सांस, चार बार रहे गुजरात के सीएम
- KHAM के जनक के रूप में बनाई थी पहचान

नई दिल्ली। नए साल की शुरुआत कांग्रेस के लिए अच्छी नजर नहीं आ रही है। पार्टी को लगातार झटके लग रहे हैं। शनिवार 9 जनवरी को पार्टी के दिग्गज नेता और गुजरात के पूर्व सीएम माधव सिंह सोलंकी ( Madhav Singh Solanki )का निधन हो गया। सोलंकी चार बार गुजरात के मुख्यमंत्री रह चुके थे।
कांग्रेस के दिग्गज नेता ने 94 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली। सोलंकी ने देश के विदेश मंत्री का पद भी संभाला था। सोलंकी के निधन से देशभर में शोक की लहर है। आपको बता दें कि हाल में कांग्रेस के दिग्गज नेता मोती लाल वोहरा का भी निधन से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सोलंकी के निधन पर शोक व्यक्त किया है।
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Shri Madhavsinh Solanki Ji was a formidable leader, playing a key role in Gujarat politics for decades. He will be remembered for his rich service to society. Saddened by his demise. Spoke to his son, Bharat Solanki Ji and expressed condolences. Om Shanti.
— Narendra Modi (@narendramodi) January 9, 2021
Madhav Singh Solanki, senior Congress leader and former Chief Minister of Gujarat, passes away.
— ANI (@ANI) January 9, 2021
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता माधव सिंह सोलंकी का जन्म 30 जुलाई 1927 को हुआ था। उनका जन्म एक कोली परिवार में हुआ था सोलंकी कांग्रेस के बड़े नेता माने जाते थे। वह भारत के विदेश मंत्री भी रह चुके थे।
Saddened by the demise of Shri Madhavsinh Solanki.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 9, 2021
He will be remembered for his contribution in strengthening the Congress ideology & promoting social justice.
Heartfelt condolences to his family & friends.
माधव सिंह सोलंकी के निधन पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शोक व्यक्त किया है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा- सोलंकी के कांग्रेस की विचारधारा को बढ़ाने और उसके प्रचार में अहम भूमिका निभाई। उनका जाना पार्टी के लिे बड़ी क्षति है।
खाम थ्योरी के जनक माने जाते थे
गुजरात की राजनीति में सोलंकी का बड़ा कद था। वे जातिगत से लेकर राजनीतिक समीकरण तक साधने में निपुण माने जाते थे। यही नहीं माधव सिंह सोलंकी को खाम ( KHAM )थ्योरी का जनक भी माना जाता था।
KHAM का मतलब था क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी और मुस्लिम। यानी जातिगत समीकरणों को साधने में सोलंकी का को सानी नहीं था।
अगड़ी जातियों को दिखाया बाहर का रास्ता
1980 के दशक में उन्होंने इन्हीं चार वर्गों को एक साथ जोड़ा और प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आए। माधव सिंह सोलंकी के इस समीकरण ने गुजरात की सत्ता से अगड़ी जातियों को कई साल के लिए बाहर कर दिया।
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पेशे से वकील थे सोलंकी
सोलंकी राजनीति के तो माहिर थे ही साथ ही कानूनी मामलों में भी उनकी पकड़ काफी मजबूत थी। दरअसल माधव सिंह सोलंकी पेशे से वकील थे। वह आनंद के नजदीक बोरसाड के क्षत्रिय थे।
1977 में पहली बार बने सीएम
वह पहली बार 1977 में अल्पकाल के लिए मुख्यमंत्री बने। 1980 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को राज्य में जोरदार बहुमत मिला। 1981 में सोलंकी ने सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए आरक्षण लागू किया। इसके विरोध में राज्य में हंगामा हुआ। कई मौतें भी हुईं।
इन जातियों ने किया विरोध
खाम के चलते सोलंकी ने कुछ जाति के लोगों को अपना विरोधी भी बना लिया। इनमें पटेल, ब्राह्मण, बनिया जैसी जातियां प्रमुख रूप से शामिल थीं।
राज्य में हिंसा के बाद सोलंकी ने 1985 में इस्तीफा दे दिया। लेकिन अगले विधानसभा चुनाव में KHAM फार्मूले के दम पर बंपर वोटों से चुनाव जीतकर आए।
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