आनंद शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सीरम इंस्टीट्यूट, भारत बायोटेक और जाइडस कैडिला की यात्रा से भारतीय वैज्ञानिकों और कोरोना के खिलाफ वैक्सीन का उत्पादन करने के लिए उनके काम को पहचान और मान्यता मिली है। अग्रिम पंक्ति के कोरोना योद्धा इससे और प्रोत्साहित होंगे।
आनंद शर्मा ने जहां पीएम मोदी की तारीफ कर डाली है, वहीं कांग्रेस का इस मामले पर आधिकारिक रुख कुछ ओर ही था। पार्टी प्रवक्त रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इसे पीएम मोदी के फोटे सेशन वाला इवेंट करार दिया था।
सुरजेवाला ने ट्वीट कर लिखा था- मोदी जी कम्पनियों के दफ़्तर जा फ़ोटो खिंचा रहे हैं और लाखों किसान दिल्ली के सड़कों पर कराह रहे हैं। काश! PM जहाज़ की बजाय ज़मीन पर किसान से बात करते। कोरोना वैक्सीन साइंटिस्ट और शौधकर्ता ढूंढेंगे, व…देश का पेट किसान पालेंगे, और…मोदी जी तथा भाजपाई टेलिविजन सम्भालेंगे !
आनंद शर्मा की राय कोरोना वैक्सीन मामले पर ही नहीं बल्कि अन्य मुद्दों पर पार्टी से जुदा रही है। इससे पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री क्षेत्रीय समग्र आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) के मामले में भी अपनी जुदा राय रख चुके हैं। कांग्रेस जहां आरसीईपी में भारत के शामिल होने का विरोध कर रही है, वहीं आनंद शर्मा ने इसमें भारत के शामिल ना होने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। यानी शर्मा के बयान के मुताबिक वे चाहते हैं कि भारत इसमें हिस्सा ले।
आनंद शर्मा अकेले नहीं है बल्कि अन्य पार्टी के वरिष्ठ नेता पिछले कुछ समय में अपने बयान और रुख से कांग्रेस के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर चुके हैं। इनमें कपिल सिब्बल, गुलाम नबी आजाद समेत 23 नेताओं की ओर से सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी वाले नेता प्रमुख रूप से शामिल हैं।
जुलाई में सोनिया गांधी सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती हुई थीं। फिर अगस्त से ही सोनिया गांधी डॉक्टरों की निगरानी में हैं और सितंबर में चेक अप के लिए विदेश जाना पड़ा था जिसकी वजह से सोनिया के साथ साथ राहुल गांधी भी संसद सत्र में शामिल नहीं हो पाये थे।
बिहार चुनाव और देश भर में हुए उपचुनावों में कांग्रेस की हार के बाद कपिल सिब्बल ने पार्टी की हालत पर चिंता जताने के साथ साथ नेतृत्व पर सवाल उठाए। वहीं आर्थिक मामलों मसलों को लेकर कांग्रेस के बचाव में मोर्चे पर तैनात रहने वाले पी. चिदंबरम ने भी पार्टी के चुनावी प्रदर्शन पर तंज भरी टिप्पणी की थी।