
prashant kishor
नई दिल्ली। चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ( Prashant Kishor ) के कांग्रेस में शामिल होने की अटकलों के बीच उनका विरोध भी शुरू हो गया है। कांग्रेस ( Congress ) के वरिष्ठ नेता खासकर जी-23 के नेता प्रशांत किशोर को पार्टी में विशेष दर्जा देने के पक्ष में नहीं हैं। इस मुद्दे पर कई वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि अगर वह देश की सबसे पुरानी पार्टी में शामिल होते हैं तो उन्हें चुनावी रणनीतिकार ( Election Strategist ) या राजनीतिक प्रबंधक का ओहदा दिया जा सकता है।
सूत्रों के हवाले से न्यूज 18 ने बताया है कि हाल ही में कांग्रेस नेता वीसी वेणुगोपाल ने इस मामले में वरिष्ठ नेताओं के साथ इस पर विचार करने के लिए एक बैठक बुलाई थी। बैठक में प्रियंका गांधी, एके एंटनी, जयराम रमेश, दिग्विजय सिंह और तारिक अनवर शामिल हुए थे। वरिष्ठ नेताओं का कहना था कि प्रशांत किशोर को वर्तमान पार्टी प्रणाली के तहत काम करना चाहिए। उनकी विशेषज्ञता का इस्तेमाल पार्टीमैन के रूप में किया जाना चाहिए। वरिष्ठ नेताओं ने ये भी सुझाव दिया था कि चुनावी रणनीतिकार ( Election Strategist ) के लिए अगल से चुनाव प्रचार समिति या विभाग बनाने में कोई समस्या नहीं है। उक्त बैठक में कांग्रेस के अन्य नेताओं से भी इस मामले पर विचार जानने का फैसला लिया गया था।
कुछ नेताओं को है इस बात का अंदेशा?
वहीं एक अन्य सूत्र बताते हैं कि पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांगेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम के आवास पर भी एक हाई लेवल मीटिंग हुई थी। बैठक में प्रशांत किशोर ( Prashant Kishor ) के कांग्रेस में शामिल होने के मुद्दे पर चर्चा हुई थी। इस बैठक में कांग्रेस के G-23 के नेता शामिल हुए थे। ये वहीं 23 नेता हैं जो काफी समय से कांग्रेस नेतृत्व में बदलाव की मांग कर रहे हैं। लेकिन इन 23 नेताओं ने ही प्रशांत किशोर के कांग्रेस ( Congress ) में शामिल होने का विरोध किया है। इन नेताओं का अंदेशा है कि प्रशांत किशोर के पार्टी में आ जाने के बाद पार्टी के अहम फैसले भी आउटसोर्सिंग होने लगेंगे।
कार्यसमिति में इस मुद्दे पर हो चर्चा
पीके की भूमिका को लेकर मतभेद के बावजूद पार्टी के नेता यह मानते हैं कि उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल चुनाव में प्रशांत किशोर की सफलता विशेष है। इसलिए पीके को कांग्रेस में शामिल करने के किसी भी प्रकार की चर्चा कार्यसमिति की बैठक में होनी चाहिए।
बता दें कि प्रशांत किशोर ने मई 2021 में घोषणा की थी कि वह बंगाल में टीएमसी की भारी जीत के मद्देनजर एक राजनीतिक सलाहकार के रूप में अपना काम छोड़ रहे हैं। इससे पहले उन्होंने दिसंबर 2020 में कई टीएमसी नेताओं के भाजपा में शामिल होने के बाद कहा था कि अगर भाजपा बंगाल में सौ सीटों को पार करती है तो वह राजनीतिक स्थान छोड़ देंगे।
Updated on:
01 Sept 2021 06:59 pm
Published on:
01 Sept 2021 06:53 pm
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