
केरल में सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने कहा कि राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान खुद को संवैधानिक जिम्मेदारियों और जवाबदेहियों तक सीमित रख नहीं रख पा रहे हैं, इसलिए अगर वह पूरे समय के लिए राजनीति में लौट जाएं तो बेहतर रहेगा। माकपा के राज्य सचिव कोदियेरि बालाकृष्णन ने कहा कि खान के पास समय है। उन्होंने फिर राज्यपाल के रूप में अपना मौन तोड़ा है और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता जैसा आचरण किया है।
प्रसंग से हटकर बोले राज्यपाल
बालाकृष्णन ने कहा कि- "यह सच है कि वह कम उम्र में सांसद बन गए और अगर राजनीति की बात करने से खुद को रोक नहीं पाते तो बेहतर यही होगा कि वह पद छोड़ दें और पूरे समय के लिए राजनेता बन जाएं। कल (शनिवार) कन्नूर में 80वीं भारतीय इतिहास कांग्रेस में उन्होंने जो किया, वह पूरी तरह अस्वीकार्य है। वह प्रसंग से हटकर बोले और राजनीति में दिलचस्पी दिखाई।"
राज्यपाल के आचरण के लिए नियम स्पष्ट
बालाकृष्णन ने कहा कि- "राज्यपाल अब नागरिक संशोधन अधिनियम (सीएए) के सबसे बड़े समर्थक हैं और भाजपा नेता की तरह आचरण करते और बोलते हैं। हालांकि पूर्व राज्यपाल (पी. सतशिवम) भी भाजपा सरकार की ओर से नियुक्त किए गए थे, लेकिन उन्होंने हमेशा सदाचार बनाए रखा, जो किसी राज्यपाल के लिए जरूरी होता है। नियम बहुत स्पष्ट हैं कि राज्यपाल को स्वयं कैसा आचरण करना चाहिए।"
किसी ने राज्यपाल का आमंत्रण स्वीकार नहीं किया
खान को सीएए बनने के बाद कई विश्वविद्यालयों में आयोजित कार्यक्रमों में भाग लेने के दौरान छात्रों के प्रदर्शन के कारण व्यवधानों का सामना करना पड़ा है। उन्होंने प्रदर्शनकारियों को बातचीत के लिए अपने आधिकारिक आवास पर आमंत्रित किया था, लेकिन अब तक किसी ने भी उनका आमंत्रण स्वीकार नहीं किया है।
Updated on:
30 Dec 2019 11:55 am
Published on:
30 Dec 2019 09:48 am
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