scriptदिल्ली की जनता एक बार कमिटमेंट कर लेती है, तो फिर किसी की नहीं सुनती | Dehli people only listen to their own commitment | Patrika News

दिल्ली की जनता एक बार कमिटमेंट कर लेती है, तो फिर किसी की नहीं सुनती

locationनई दिल्लीPublished: May 11, 2019 11:56:00 am

Submitted by:

Manoj Sharma

2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने दिल्ली की सभी सीटें जीती थीं
2009 में कांग्रेस की दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों पर विजय हुई थी
2015 के विधानसभा चुनावों में आप ने 70 में 67 सीटों पर जीत दर्ज की

People of Delhi

दिल्ली की जनता एक बार कमिटमेंट कर लेती है, तो फिर किसी की नहीं सुनती

नई दिल्ली। दिल्ली की जनता कल (12 मई को) लोकसभा चुनाव में 7 सीटों के लिए मतदान करेगी। अब तक भाजपा और कांग्रेस के नेता अपने बयानों के माध्यम से दिल्ली की जनता को यही दिखाते रहे हैं कि मुकाबला केवल उन्हीं दोनों के बीच है। अगर दोनों दल सचमुच ऐसा मानते हैं, तो वे दोनों ही बहुत बड़ी गलतफहमी का शिकार हैं। पिछला रिकॉर्ड तो यही कहता है कि दिल्ली की जनता किसी एक राजनीतिक दल को जिताने का कमिटमेंट कर लेती है, तो फिर किसी की नहीं सुनती।
दिल्ली पर सबकी नजर

पिछले विधानसभा चुनाव और 2014 के लोकसभा चुनावों में नवगठित आम आदमी पार्टी ने जो वोट शेयर हासिल किया था, वह इस बात की तसदीक करता है। दिल्ली की जनता ने पिछले विधानसभा चुनावों में जिस तरह से आम आदमी पार्टी को एकतरफा जीत दिलाई थी, उसे देखते हुए 2019 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली का मुकाबला त्रिकोणीय रह सकता है। पूरे देश की नजर दिल्ली पर रहती है। दिल्ली की जीत किसी आम आदमी को कैसे हीरो बना देती है, अरविंद केजरीवाल का राजनीति में उत्थान इसका जीता-जागता उदाहरण है। इसलिए भाजपा और कांग्रेस ने दिल्ली की ज्यादा से ज्यादा लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं छोड़ी।
वोट प्रतिशत के चलते दिल्ली में आम आदमी पार्टी की अनदेखी नहीं

2014 के लोकसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी को 32.9 प्रतिशत वोट मिले थे। उससे ज्यादा वोट शेयर दिल्ली में केवल भाजपा के पास था। भाजपा पर 46.4 प्रतिशत मतदाताओं ने भरोसा जताया था। कांग्रेस 15.10 प्रतिशत मतों के साथ तीसरे नंबर पर थी। कांग्रेस के लिए हालात 2015 के विधानसभा चुनावों में और खराब हो गए और उसका वोट शेयर केवल 9.7 फीसदी रह गया। आम आदमी पार्टी का वोट शेयर आश्चर्यजनक ढंग से 54.3 फीसदी हो गया, जबकि भाजपा का गिरकर 32.3 प्रतिशत।
Lok Sabha Chunav, 2014, Delhi seats
दिल्ली नगर निगम के चुनावों में हालात बदले

दिल्ली नगर निगम पर भाजपा एक दशक से भी ज्यादा वक्त से कब्जा जमाए बैठी है। भाजपा की पकड़ यहां कितनी मजबूत है, यह आम आदमी पार्टी को मिली सीटों से साफ हो जाता है। विधानसभा में 70 में से 67 सीटें जीतने वाली आप का वोट प्रतिशत 2017 के नगर निगम चुनावों में 26 फीसदी घट गया। कांग्रेस को 2015 के विधानसभा चुनावों से 11 फीसदी ज्यादा वोट मिले। भाजपा का वोट शेयर 5 फीसदी बढ़ा। नगर निगम चुनावों में दिल्ली की जनता ने भाजपा को कुल 272 में से 181 सीटों पर विजेता बनाया।
Vidhan Sabha Chunav, 2015, Delhi seats
दिल्ली की जनता का फैसला

भले ही आम आदमी पार्टी का वोट शेयर दिल्ली में कम हुआ हो, मगर फिर भी उसके पास करीब 28 फीसदी वोट शेयर है, जो कांग्रेस से करीब छह फीसदी ज्यादा है। फिर क्या वजह है कि कांग्रेस और भाजपा नेता एक-दूसरे को ही अपने लिए खतरा बता रहे हैं और आप की अनदेखी कर रहे हैं। दरअसल दोनों ही दल आम आदमी पार्टी को खतरा मानकर चल रहे हैं। वे दिल्ली की जनता को यह दिखाना चाहते हैं कि आम आदमी पार्टी के अस्तित्व को वे दोनों राष्ट्रीय पार्टियां महत्व नहीं देतीं। वे जनता को अपने एक्शन से यह जताना चाहती हैं कि आप को वोट देना बेकार साबित हो सकता है।
उधर, अरविंद केजरीवाल भी अपने बयानों में दिल्ली का असली मुकाबला भाजपा और आप के बीच बताते रहे हैं। कांग्रेस ने भी आप से गठबंधन न करके दिल्ली में अकेले लड़ने का जो फैसला किया, उससे उसका आत्मविश्वास भी मजबूत लगता है। अब दिल्ली की जनता क्या फैसला करती है, यह 23 मई को स्पष्ट हो जाएगा।
Indian Politics से जुड़ी Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook पर Like करें, Follow करें Twitter पर ..

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो