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दिल्ली चुनावः बीजेपी को याद आए राम, ट्रस्ट के जरिये राजधानी का भरोसा जीतने की तैयारी

Delhi Assembly Election BJP को फिर याद आए राम बीजेपी को हर चुनाव में मिला राम का सहारा 1992 से लेकर 2019 तक जीत का मूलमंत्र बना राम मंदिर

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delhi elections 2020

बीजेपी को हर चुनाव में आती है 'राम' की याद

नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव ( Delhi Assembly Election ) में मतदान को अब महज तीन दिन का वक्त रह गया है। 8 फरवरी को राजधानी में अगली सरकार किसकी होगी इसका फैसला EVM में कैद हो जाएगा। आम आदमी पार्टी ( Aam Admi party ) जहां लगातार तीसरी बार सत्ता पर काबिज होने के लिए अपने विकास की पगडंडी को पकड़ कर चली है वहीं बीजेपी ( BJP ) ने एक बार फिर इस चुनाव में राम ( Ram ) नाम का सहारा ले लिया है।

मोदी कैबिनेट ( Modi Cabinet ) से बुधवार को राम मंदिर ट्रस्ट ( Ram Mandir Trust ) को मंजूरी दे दी है। संसद में पीएम नरेंद्र मोदी ( PM Narendra Modi ) ने बताया कि 'श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र' के गठन का प्रस्ताव रखा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के 87 दिन बाद इसकी रूपरेखा तैयार हो चुकी है।

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हालांकि 90 दिन का वक्त मिला था लेकिन बीजेपी को इसे तय करने में पूरे 87 दिन ही लगे। शायद दिल्ली चुनाव के करीब आने का इंतजार था।

यानी बीजेपी को अब तक के हर चुनाव की तरह ही इस चुनाव में भी राम नाम की जरूरत पड़ी। आईए जानते हैं बीजेपी किस तरह हर चुनाव में 'राम' नाम का जाप करके नैया पार की है।

भाजपा के एक दिवंगत नेता ने कहा था की यह ऐसा चेक नहीं है जिसे दो बार भजाया जा सके। यह भारतीय जनता पार्टी ( BJP ) और कांग्रेस दोनों पार्टियों के अयोध्या के मुद्दे पर उदासीनता को दिखाता है।

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ऐसे चुनाव-दर-चुनाव बीजेपी को याद आए राम

1992 : में राम जन्मभूमि आंदोलन के चरम पर पहुंचने के बाद बीजेपी ने हर चुनावी घोषणा पत्र में इस मुद्दे को शामिल किया। बार-बार अयोध्या में एक भव्य राम मंदिर बनाने का वादा किया।

1996 : का लोकसभा चुनाव पहला बड़ा चुनाव था। बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में अयोध्या में राम जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई थी।

1996 : के चुनाव में बीजेपी ने लोकसभा में 161 सीटों पर कब्जा जमाया। यही नहीं अकेली सबसे बड़ी पार्टी बनकर भी उभरी। हालांकि, आरएसएस के स्वयंसेवक अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार अल्पकालिक थी।

अयोध्या में बाबरी विध्वंस की पांचवीं वर्षगांठ से ठीक एक सप्ताह पहले अटल सरकार गिर गई।

1998 : के लोकसभा चुनावों के दौरान बीजेपी ने घोषणापत्र में राम मंदिर निर्माण के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई, बीजेपी ने इसमें एक शब्द को जोड़ा कि मंदिर पहले से ही यहां मौजूद है।

राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद 1998 के चुनाव अभियान की मुख्य मुद्दा बन गया, सभी प्रमुख दलों ने किसी न किसी तरह से इसका जिक्र किया।

1998: के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 182 सीटों के साथ वापसी की। हालांकि, बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार 13 महीने तक चली।

2014 : में भी फायरब्रांड नेता मोदी के साथ बीजेपी ने राम मंदिर को सबसे बड़ा मुद्दा बनाकर चुनाव अपने नाम किया। नतीजा चुनाव में बीजेपी को 282 सीटों पर जीत मिली।

2019 : में भी बीजेपी ने राम मंदिर का सहारा लिया और चुनाव में ऐतिहासिक जीत हासिल की। मोदी के काम और राम का नाम लेकर बीजेपी को 303 सीटें जीतने में कामयाबी मिली।

ये तो थे बड़े चुनाव, लेकिन राज्यों के चुनाव प्रचार में भी बीजेपी के दिग्गजों ने राम नाम का ही शोर मचाकर कई मुद्दों को दबा दिया।

दिल्ली का दंगल भी अब राम नाम के सहारे पर ही बीजेपी लड़ने के मूड में है। यही वजह है कि मतदान से ठीक तीन दिन पहले बीजेपी ने राम को याद किया है।