Delhi Violence: बीजेपी नेता कपिल मिश्रा का बड़ा बयान, बोले- नहीं कोई पछतावा, जरूरत पड़ी तो फिर ऐसा करूंगा
- Delhi Violence को हुआ एक साल
- दिल्ली दंगों को लेकर बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने दिया विवादित बयान
- बोले- मुझे अपने भाषण पर कोई पछतावा नहीं, जरूरत पड़ी तो फिर ऐसा करूंगा

नई दिल्ली। देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हुए दंगों ( Delhi Violence ) का एक वर्ष पूरा हो गया है। दिल्ली में हुई इस हिंसा के एक साल बाद एक बार फिर बीजेपी ( BJP ) ने कपिल मिश्रा ( Kapil Mishra ) का बड़ा और विवादित बयान सामने आया है।
कपिल मिश्रा ने कहा है कि सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों पर निशाना साधने वाला जो भाषण उन्होंने दिया था, उसका उन्हें कोई पछतावा नहीं है और जरूरत पड़ी तो वह फिर से ऐसा करेंगे। माना जाता है कि कपिल मिश्रा के कथित भाषण के अलगे दिन ही दिल्ली में हिंसा भड़की थी। ऐसे में उनका इस तरह बयान देना एक बार फिर विवाद की वजह बन सकता है।
ये बोले कपिल मिश्रा
बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने कहा, “जब भी सड़कें रोकी जाएंगी और लोगों को काम पर या बच्चों को स्कूल जाने से रोका जाएगा तो इसे रोकने के लिए वहां हमेशा कपिल मिश्रा होगा।
कपिल मिश्रा ने 'डेल्ही रॉयट्स 2020: द अनटोल्ड स्टोरी' नाम की किताब के विमोचन पर कहा, “मैंने जो किया है, मैं फिर करूंगा। मुझे कोई पछतावा नहीं है, सिवाए इसके कि मैं दिनेश खटीक, अंकित शर्मा (दंगा पीड़ित) और कई अन्य की जान नहीं बचा सका।
यह किताब उनके खिलाफ खतरनाक प्रचार ‘के खिलाफ’ उम्मीद की एक किरण“ है, जिसके तहत उन्हें दंगों के लिए दोषी ठहराया जा रहा है।
रिपब्लिक डे हिंसा पर भी बोले मिश्रा
कपिल मिश्रा ने गणतंत्र दिवस पर कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा को लेकर भी बयान दिया। उन्होंने कहा कि “प्रदर्शन से दंगा तक का यह मॉडल बहुत स्पष्ट है।''
लोकतंत्र में अंतिम चेतावनी देने का और क्या तरीका है? मैंने एक पुलिस अधिकारी के सामने ऐसा किया। क्या दंगा शुरू करने वाले लोग पुलिस के सामने अल्टीमेटम देते हैं?
दंगों में 53 लोगों की मौत
आपको बता दें कि पिछले वर्ष 23 फरवरी को मिश्रा ने अपने विवादित भाषण में जाफराबाद में सड़क पर संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों को हटाने की धमकी दी थी।
एक वर्ग मानता है कि उनके इस भाषण के बाद ही सांप्रदायिक हिंसा भड़की थी और सीएए के समर्थकों और विरोधियों की बीच झड़पें हुई थीं।
दंगों में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों लोग जख्मी हुए थे।
दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग का आरोप
पुलिस ने दंगा भड़काने में मिश्रा के भाषण की भूमिका का खंडन किया जबकि दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग की पिछले साल जुलाई में आई रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंसा मिश्रा के भाषण के बाद ही शुरू हुई।
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